लेकिन श्रीमती वर्मा की ज़िद के आगे वर्मा जी नें आत्मसमर्पण करते हुए, बाजार जाकर सामान लाने को तैयार ... लेकिन श्रीमती वर्मा की ज़िद के आगे वर्मा जी नें आत्मसमर्पण करते हुए, बाजार जाकर ...
जब कभी इंसान मजहब और धर्म के नाम पर बटवारा करता है और उस बटवारे में भीड़ को उन्मादी नारों से पागल कर... जब कभी इंसान मजहब और धर्म के नाम पर बटवारा करता है और उस बटवारे में भीड़ को उन्म...
कुछ नहीं बस कई बेवाओं की मांग उजड़ी है कई हाथों की चूड़ियां टूट गई है कुछ नहीं बस कई बेवाओं की मांग उजड़ी है कई हाथों की चूड़ियां टूट गई है