Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Divyanshu Mishra

Drama

4.8  

Divyanshu Mishra

Drama

चुड़ैल का बेटा

चुड़ैल का बेटा

3 mins
460


हर सोमवार की सुबह मेरा बिस्तर ब्लैक होल बन जाता है। मैं कितना भी कोशिश कर लूं ये मुझे इससे दूर नही जाने देता है। इस दिन ऑफिस में काम करना बरमूडा ट्राइएंगल के पास तैराकी करने के समान है। मैं कभी भी इस दिन आफिस नही जाना चाहता। लेकिन क्या करूँ इस 'अदनी सी नौकरी' से दूर भी नही भाग सकता।

शाम की मीटिंग के लिए तैयारी भी करनी है। इतने में घर से माँ का फ़ोन आ गया।

"बेटा कहाँ है जल्दी घर आजा।"

"क्या हुआ माँ।"

"कुछ नही बेटा बस तू जल्दी से घर आजा।"

"ऐसे नही आ सकता माँ जरूरी काम कर रहा हूं, आप बताइए तो सही हुआ क्या है ?"

"बेटा संध्या छोटू को लेकर अपने मायके जा रही।"

"अब ऐसा क्या हो गया ?"

"पता नही बेटा लेकिन तू जल्दी से घर आ।"

"ठीक है माँ मैं कुछ करता हूँ।"

अपने 7 साल के अनुभव में मैंने ये देखा है कि जिस दिन आपको आफिस में सबसे ज्यादा जरूरी काम हो उसी दिन आपके घर से फोन आ जाता है। इतनी अच्छी टाइमिंग तो सचिन तेंदुलकर की भी नही थी जितनी अच्छी मेरे घरवालों की है।

मैंने संध्या को फ़ोन किया

"क्या हुआ, कहाँ जा रही हो ?"

"अच्छा, तो विविध भारती का प्रसारण हो चुका है तुम्हारे पास? तुम अपना ऑफिस देखो मुझसे मत पूछो कुछ भी।"

"यार कभी तो सीधे मुँह बात कर लिया करो।"

"मुझे माफ़ करो मैं तो ऐसे ही बात करूँगी।"

दुनिया का सबसे झूठा आदमी होता है लड़की का बाप। शादी से पहले बोलता है मेरी लड़की तो गाय जैसी है, बस ये नही बताता की है गाय सींघ भी मरती है। फिलहाल मैं लड़ने के मूड में नही था तो शांत हो गया। वैसे ये मूड तो बस बहाना था, ना लड़ना तो मेरी मजबूरी है।

"मैं घर आकर बात करता हूं अभी के लिए चुप हो जाओ।"

"इस बार मुझे कोई बात नही करनी, तुम्हे जो करना है करो मैं जा रही हूं।

इतना कहकर संध्या ने फ़ोन रख दिया। घर वालो को नही पता काम के बीच में छुट्टी मांगना किसी से उसके मैगी के पैकेट का मसाला मांगने के बराबर है। कोई भी नही देता। अपने टूटते हुए घर को बचाने के लिए अपनी मरी हुई दादी का डायलसिस करवाने का बहाना मारा। वैसे मुझे पहले से ही एहसास था कि एक नरक से भागकर दूसरे नरक की ओर जा रहा हूं।

घर पहुँचा तो माँ ने दरवाजा खोला। पूछने पर पता चला की संध्या बस अड्डे जा चुकी है। मै फिर से फोन लगाया लेकिन इस बार फ़ोन स्विच ऑफ जा रहा था। माँ ने बोला जल्दी से जा कर बहू को वापस ला। मैं तुरंत बस अड्डे की तरफ भागा। पहुचने पर देखा संध्या और छोटू बस का इंतजार कर रहे थे। मुझको देखते ही छोटू बोला।

"पापा मुझे भी मोबाइल चाहिए मम्मा अपना मोबाइल मुझे नहीं दे रहीं"

"नही बेटा जब तुम बड़े हो जाओगे तब मैं तुमको मोबाइल दिला दूंगा।"

छोटू की बात को नजरअंदाज करते हुए मैंने संध्या से पूछा।

"ये क्या नाटक है संध्या? इस तरह घर से भाग कर क्यों आयी ?"

"नाटक ? नाटक मैं नही कर रही, तुम जाकर अपनी चुड़ैल जैसी माँ से पूछो कौन कर रहा नाटक"

छोटू -"पापा मैं कब बडा होऊंगा ?"

"बेटा तुम कभी बड़े मत होना नही तो तुम भी चुड़ैल के बेटे बन जाओगे।"


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