चर्चा: मास्टर & मार्गारीटा- 11

चर्चा: मास्टर & मार्गारीटा- 11

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इवान के दो रूप

यह एक बड़ा ख़ूबसूरत अध्याय है जिसमें संक्षेप में इवान बेज़्दोम्नी का एक नए इवान में रूपांतरण दिखाया गया है। जब प्रोफेसर स्त्राविन्स्की ने इवान को बेर्लिओज़ की दर्दनाक मौत का वर्णन पुलिस को लिखित रूप में देने की सलाह दी तो इवान लिखना आरम्भ करता है, मगर चाहे उसने कितनी ही बार लिखने की कोशिश क्यों न की, हर बार अगला ड्राफ्ट पहले वाले ड्राफ्ट

से बदतर ही साबित होता।

इसी बीच आसमान काले बादलों से ढँक गया, मूसलाधार बारिश होने लगी, नदी किनारे के दृश्य जो इवान की खिड़की से दिखाई देते थे, लुप्त हो गए। इवान बहुत हताश हो गया, उसने हवा के कारण इधर-उधर बिखरे पन्नों को समेटने की कोशिश भी नहीं की

और रोने लगा।

डॉक्टर ने आकर उसे इंजेक्शन दिया और वादा किया कि जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा और इवान अच्छा महसूस करने लगेगा।

कृपया ध्यान दें कि यह सब ठीक उसी समय हो रहा है जब वारेनूखा को बरसते पानी में उठाकर फ्लैट नं। 50 में ले जाया जा रहा था। अर्थात् गुरुवार की दोपहर/शाम को।

शीघ्र ही बारिश रुक गई, आसमान साफ हो गया और इवान की खिड़की से लिण्डन का जंगल और नदी साफ-साफ दिखाई देने लगे। इवान काफी शांत महसूस कर रहा था और तर्कसंगत विचार करने लगा था।

वह स्वीकार करता है कि ईसा की तस्वीर कमीज़ पर लटकाए, हाथ में मोमबत्ती लिए उस रहस्यमय प्रोफेसर के पीछे भागने और ग्रिबोयेदोव-भवन में हंगामा खड़ा करने में कोई समझदारी नहीं थी:

 ‘बेर्लिओज़ अगर ट्रामगाड़ी के नीचे आकर मर गया तो मैं इतना उत्तेजित क्यों हुआ ?’ कवि ने कारण मीमांसा करते हुए सोचा, ‘मेरी बला से वह कीचड़ में गिरे ! मैं आख़िर उसका हूँ कौन ? क्या यार हूँ या समधी ? अगर गौर से देखा जाए तो मैं उसे ठीक से जानता भी नहीं था। सचमुच, मैं उसके बारे में जानता ही कितना हूँ ? सिर्फ यह कि वह गंजा ख़तरनाक हद तक मीठा बोलने वाला था।’ फिर न जाने किसे सम्बोधित करते हुए कवि ने आगे सोचा, ‘मैं इस रहस्यमय परामर्शदाता, जादूगर और काली तथा खाली आँख वाले शैतान प्रोफेसर के पीछे इतना पागल क्यों हुआ ? यह सब दौड़धूप क्यों की ? उसका पीछा क्यों किया ? कच्छा पहनकर, हाथ में मोमबत्ती लेकर, और रेस्तराँ में उसके कारण गड़बड़ क्यों की ?’

 “मगर, मगर, मगर,” अचानक कहीं, न कान में, न दिल में पहले वाले इवान ने नए इवान से संजीदगी से कहा, “बेर्लिओज़ का सिर कटने वाला है, वह पहले से जानता था ? मैं परेशान कैसे नहीं होता ?”

”क्या बात करते हो दोस्त!” नए इवान ने पुराने इवान का प्रतिवाद करते हुए कहा – “यहाँ कोई गोलमाल है, इतना तो एक बच्चा भी समझ सकता है। वह शत- प्रतिशत रहस्यमय व्यक्ति है। यही तो दिलचस्प बात है ! आदमी व्यक्तिगत तौर पर पोंती पिलात को जानता था। इससे बढ़कर आपको और क्या चाहिए ? और पत्रियार्शी पर इतना उधम मचाने के बदले क्या उससे यह पूछना ज़्यादा ठीक नहीं होता कि पोंती पिलात और कैदी हा-नोस्त्री का आगे क्या हुआ ?”

 “और मैं न जाने क्या सोचने लगा! ख़ास बात यह है कि मासिक पत्रिका के सम्पादक को ट्राम ने कुचल दिया। इससे क्या, पत्रिका का निकलना बन्द हो जाएगा ? किया भी क्या जा सकता है: आदमी नश्वर है और आकस्मिक रूप से उसका नाश हो जाता है।

भगवान उसकी आत्मा को शांति दे! दूसरा सम्पादक आ जाएगा।।।शायद पहले से भी

ज़्यादा मीठा बोलने वाला।”

थोड़ी-सी झपकी लेने के बाद नए इवान ने पुराने से पूछा :

 “फिर इस सब में मैं कौन हुआ ?”

 “बेवकूफ़,” कहीं से भारी-सी आवाज़ सुनाई दी। यह न पुराने इवान की थी न ही नए वाले की। यह उस परामर्शदाता की आवाज़ से काफी मिलती-जुलती थी।

इवान में परिवर्तन हो रहा है। वह महसूस करता है कि यह अस्पताल उतना बुरा नहीं है, स्त्राविन्स्की अच्छा इंसान है, यहाँ उसका हर तरह से ख़याल रखा जाएगा। प्रोफेसर के पीछे भागने के बदले उससे यह पूछना ज़्यादा बेहतर होता कि पोंती पिलात और

कैदी हा-नोस्त्री का आगे क्या हुआ।

बीच-बीच में पुराना इवान नये इवान को वापस लौटाने की कोशिश करता है, मगर इवान अब परिवर्तित हो चुका है। वह स्वीकार कर लेता है कि यह सब हंगामा करना वाक़ई में बेवकूफ़ी थी।

इस परिवर्तन के बाद वह स्वयम् को काफ़ी हल्का महसूस करता है, उसे झपकी आने लगती है; आँखों के सामने लिण्डन का जंगल दिखाई देता है, ऐसा लगता है कि एक ख़ुशनुमा बिल्ला क़रीब से होकर गुज़र गया है।

और जब उसे नींद आने ही वाली थी तो अचानक बालकनी का दरवाज़ा बिना आवाज़ किए खुल गया और एक आकृति उसे उँगली से धमकाते हुए बोली, “ श्श्श !”


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