Shivam Sir II Edutainment

Drama Horror Action

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Drama Horror Action

चिंतन

चिंतन

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शादी को पारिवारिक प्रसंग बनाइए !!

आज तक जितनी शादियों में मैं गया हूँ।उनमें से करीब 80% में दुल्हा-दुल्हन की शक्ल तक नही देखी।उनका नाम तक नहीं जानता था। अक्सर तो विवाह समारोहों मे जाना और वापिस आना भी हो गया पर ख्याल तक नहीं आया और ना ही कभी देखने की कोशिश भी की कि स्टेज कहाँ सजा है,युगल कहाँ बैठा है...

 भारत में लगभग हर विवाह में हम 75% फालतू जनता को निमंत्रण देते हैं। फालतू जनता वो है जिसे आपके विवाह मे कोई रुचि नही.. 

जो आपका केवल नाम जानती है। जो केवल आपके घर की लोकेशन जानती है। जो केवल आपकी पद-प्रतिष्ठा जानती है और जो केवल एक वक्त के स्वादिष्ट और विविधता पूर्ण व्यञ्जनों का स्वाद लेने आती है... 

ये होती है फालतू जनता... 

विवाह कोई सत्यनारायण भगवान की कथा नहीं है कि हर आते जाते राह चलते को रोक-रोक कर प्रसाद दिया जाए!

केवल आपके रिश्तेदारों,कुछ बहुत क़रीबी मित्रों के अलावा आपके विवाह मे किसी को रुचि नही होती...

ये ताम-झाम,पंडाल,झालर , सैकड़ों पकवान,आर्केस्ट्रा,डी.जे., दहेज का मंहगा सामान एक संक्रामक बीमारी का काम करता है। 

लोग आते हैं इसे देखते हैं और मै भी ऐसा ही इंतजाम करूँगा,बल्कि इससे बेहतर और लोग करते हैं चाहे उनकी चमड़ी बिक जाए..

लोग 75% फालतू की जनता को दिखावा करने में अपने जीवन भर की कमाई लुटा देते हैं। लोन ले लेते हैं... 

और उधर विवाह मे आमंत्रित फालतू जनता,गेस्ट हाउस के दरवाजे से अंदर सीधे भोजन तक पहुंचकर,भोजन उदरस्थ करके, लिफाफा पकड़ा कर निकल लेती है।आपके लाखों का ताम झाम उनकी आँखों में बस आधे घंटे के लिए पड़ता है... 

पर आप उसकी किश्तें जीवन भर चुकाते हो।इस अपव्यय और दिखावे को रोकना होगा!

खर्चीली, शादियाँ हमें दरिद्र और बेईमान बनाती है।

हम बदलेंगे, युग बदलेगा।


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