बॉडी शेमिंग
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आज सुरभि को फ़िर से वहीं शब्द दोबारा सुनने पड़ें । इसमें उस बेचारी की क्या गलती ? न ही कसूर भगवान का है और न ही वक्त का ! लगता है उसकी क़िस्मत में यही लिखा है । तानें , तानें और सिर्फ़ और सिर्फ़ तानें हीं तानें ! "अरे ! ये तो माचिस की तीली है ।" "नहीं , नहीं ! तीली नहीं , डंडी है डंडी ! हा हा हा !!" "तुम्हारे घर पर तुम्हें खाना नहीं मिलता क्या ?" "याद है ? हमारी साइंस टीचर ने क्या बताया था ?! कि इंसानों में 206 हड्डियां होती हैं , लेकिन तुम्हें देखकर तो लगता है कि मैम ने हमें गलत पढ़ाया ।" "सुरभि ! पंखे की हवा आ रही है । संभलकर ! कहीं उड़ न जाना ! हा हा हा !!" और यह सब याद करते ही उसकी आँखों से दो आँसू की बूंदों ने उसके गालों को छू लिया ।
सुबह का समय है । बाहर कॉलेज कैंपस से कुछ आवाज़ें आ रहीं हैं , जैसे कि किसी चीज़ की घोषणाएँ की जा रहीं हों । लेकिन यहाँ सुरभि के भीतर एक अलग - ही - सा शोर मचा हुआ है । वह इस समय कॉलेज के किसी ऐसे कोने में बैठी पिछली बातों को याद कर रही है , जहां से किसी की नज़र उस पर न पड़े । वह यादों की गहराई में जा ही रही थी कि तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा । वह चौंक गई । उसने जल्दी से अपने आंसुओं की बहती धारा को पोछा और पीछे मुड़ी ।
उसने देखा कि वह कोई और नहीं , उसकी बेस्ट फ्रेंड रौशनी है । रौशनी और सुरभि स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ हीं हैं । दोनों एक - दूसरे से अपना हर सुख - दुःख बांटती आईं हैं । रौशनी एक बहुत ही ज़िंदादिली और हँसमुख लड़की है । रौशनी ने हैरान होकर कहा , "सुरभि ! तू यहाँ है ? और बाहर स्टेज पर तेरा नाम अनाउंस किया गया , तो तू आई क्यों नहीं ? मुझे ठीक नहीं लगा । तुझे पता भी है कि सब तेरे बारे में कैसी अजीब - अजीब बातें कर रहें हैं ?! कह रहें हैं कि तुझे पोएट्री कॉम्पिटिशन में फर्स्ट प्राइज़ मिल रहा है इसलिए तू स्टेज पर आने से भाव खा रही है । मुझे तेरे बारे में ये सब सुनकर बिलकुल अच्छा नहीं लगा , तो मैंने तुझे पूरे कॉलेज में ढूंढा । यहाँ से गुज़र रही थी , तो तुझपर नज़र पड़ी ....."
सुरभि यह सब सुनकर रोने लग जाती है , जिसे देख रौशनी घबरा जाती है और सुरभि से पूछती है , "क्या हुआ यार ? तू चिंता मत कर अब ! मैं आ गई हूं न ! अभी भी ज़्यादा देर नहीं हुई है । चल , जल्दी से जाकर सर को बता देते हैं कि तू आज कॉलेज आई है ।" यह कहते हुए उसने सुरभि का हाथ पकड़ा और उसे ले जाने लगी । तभी सुरभि ने उसे टोकते हुए कहा , "नहीं यार ! मैं नहीं जाऊँगी । सब हँसेंगे मुझ पर !" रौशनी यह सुनकर असमंजस में पड़ जाती है , "सब तुझ पर क्यों हँसेंगे ?" सुरभि ने अपना रुदन शांत करते हुए कहा , "तुझे पता है यार !" रौशनी कहती है , "यार सुरभि ! तू दूसरों की बातों पर ध्यान बिल्कुल मत दे । तू बस अपने टैलेंट पर ध्यान दे । (खुश होते हुए) और इससे पहले आज तक तुझे कभी कोई प्राइज़ भी नहीं मिला और न ही कोई सर्टिफिकेट ! स्कूल में भी नहीं मिला । तेरी क़िस्मत आज चमकी है यार ! तुझे तो आज पहली बार प्राइज़ मिल रहा है , वो भी पहला ! सोच तू !"
"यार लेकिन.…" सुरभि ने कहना चाहा , तो रौशनी ने उसे बीच में टोकते हुए कहा , "छब्बीस सालों से ! छब्बीस सालों से देखती आ रही हूं मैं तुझे ! ये तानें सुनते ही तू सबके सामने मुस्कुराती आई है , जैसे कि तुझे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता हो लेकिन मुझे पता है कि तू अपना दर्द छुपाती आई है अपनी मुस्कान के पीछे ! थोड़ी देर बाद , कोई भी एक कोना पकड़कर अकेले में रोने लगती है ताकि किसी को पता न चले कि तुझपर क्या बीती है । मैं समझती हूं तुझे !" "यार , लेकिन सब मुझे अजीब - अजीब नामों से चिढ़ाते हैं और आज तो माचिस की तीली कहा किसी ने मुझे !" सुरभि ने लगभग रोते हुए कहा । "हाँ , तो सही है न ! देख सुरु , चाहे कितना भी बड़ा जंगल क्यों न हो , सिर्फ़ एक माचिस की तीली पूरे जंगल में आग लगा सकती है ।" रौशनी ने सुरभि की आँखों में देखते हुए गंभीरता से कहा । "(नॉर्मल होते हुए) और ये दुनिया भी तो एक जंगल ही है यार ! अच्छे - खासे जानवर देखने को मिल जाते हैं यहाँ पर ! तुझे बस इस जंगल में अपनी जागरूक करने वाली कविताओं को आग की तरह फैलाना है बस ! देख सुरु ! तू अगर लोगों को अपना वज़न दिखाएगी , तो लोग पहले तेरी पर्सनैलिटी देखेंगे । लेकिन जब तू अपना टैलेंट दिखाएगी , तो लोग तेरा टैलेंट देखेंगे । समझी ?" रौशनी ने सुरभि को समझाते हुए कहा ।
"हां , थैंक यू सो मच यार ! तू नहीं होती , तो पता नहीं मेरा क्या होता ?!" सुरभि ने अपने आंसू पोंछ कर , रौशनी के गले लगते हुए मुस्कुराते हुए कहा । "मैं तो 24 × 7 तेरे साथ ही हूं और प्लीज़ थैंक यू मत बोला कर यार !" रौशनी ने कहा और दोनों सहेलियाँ कॉलेज कैंपस पर आ गईं , जहां नाम घोषित किए जा रहें थें । रौशनी ने स्टेज पर खड़े प्रिंसिपल सर को चुपके से बुलाया । प्रिंसिपल सर उन दोनों के पास आतें ही सुरभि से बोलें , "व्हाट द हेल , सुरभि ? व्हाट्स रॉन्ग विथ यू ? कहां थी तुम , जब तुम्हारा नाम अनाउंस किया गया ?" । सुरभि ने कहा , "सॉरी सर ! वो सब आपको अभी पता चल जाएगा , पहले आप मेरा नाम फ़िर से अनाउंस करवा दीजिए प्लीज़ !" प्रिंसिपल सर ने स्टेज पर आकर फिर से सुरभि का नाम घोषित करवाया । तालियां बजीं । रौशनी सुरभि के लाख रोकने के बावजूद भी अपनी जगह पर जाकर , स्टूडेंट्स के बीच खड़ी हो गई ।
सुरभि के स्टेज पर आते ही उसे माइक दिया गया । सुरभि ने सामने देखा , तो सब उसे ही देख रहें थें । वह घबरा गई क्योंकि इससे पहले वह कभी स्टेज पर नहीं आई थी । उसने किसी तरह बोलना शुरू किया , "म - म - मैं ..." । सब हँसने लगें । सुरभि चुप हो गई । उसने सबसे पहले अपने मन और दिमाग को शांत करने के लिए आँखें बंद करके गहरी सांस ली और रौशनी की समझाई गईं बातों को याद किया । उसने दोबारा अपनी आँखें खोली और चेहरे पर एक मुस्कान लिए बोलना शुरू किया , "माय रिस्पेक्टेड प्रिंसिपल सर , टीचर्स एंड माय फ्रेंड्स ! गुड मॉर्निंग टू ऑल ऑफ़ यू ! फर्स्ट ऑफ़ ऑल , आई एम सॉरी क्योंकि मेरा नाम अनाउंस किया गया और मैं स्टेज पर नहीं आई । मैं डर गई थी । अगर मैं स्टेज पर आऊंगी , तो सब मेरी पर्सनैलिटी देखकर मुझपर हँसेंगे । अकेली हो गई थी मैं ! डिसाइड कर लिया था कि नहीं आऊंगी स्टेज पर ! लेकिन कहते हैं कि सब हमारी मर्ज़ी से नहीं चलता । ऊपरवाले को शायद अच्छा नहीं लगा इसलिए उन्होंने मेरी बेस्ट फ्रेंड रौशनी को मेरे पास भेजा । उसने मुझे समझाया कि टैलेंट नाम का कोई वर्ड भी होता है । उसने मेरी गलतफहमी दूर की । शी इज़ एन एंजल फ़ॉर मि । आई एम वैरी हैप्पी एंड प्राउडली फीलिंग कि मेरी रौशनी जैसी दोस्त है , जो मेरी लाइफ़ के डार्कनेस को रिमूव कर सकती है अपनी रौशनी से ! ये प्राइज़ मुझे आज पहली बार मिल रहा है । मैं स्टेज पर पहली बार आई हूं । मुझे बचपन से लेकर आजतक कभी कोई भी प्राइज़ या सर्टिफिकेट नहीं मिला । बहुत तरसी हूं मैं इसके लिए ! और इसलिए मैं आज ये प्राइज़ अपनी बेस्ट फ्रेंड रौशनी के हाथों से लेना चाहूंगी । कॉम्पिटिशन भले ही पोएट्री का था लेकिन दोस्ती के कॉम्पिटिशन में रौशनी ने फर्स्ट प्राइज़ जीता , मेरा दिल जीता । सो , गिव ए ह्यूज राउंड ऑफ़ अप्लॉज फ़ॉर रौशनी !"
यह सब सुनकर वहाँ पर मौजूद सभी की आँखें नम हो गईं । रौशनी के स्टेज पर आते ही तालियां बज उठीं । रौशनी ने प्राइज़ सुरभि को दिया । सुरभि ने रौशनी को एक गोल्ड मैडल पहनाया । फ़िर से तालियों की आवाज़ के साथ ही साथ दोनों सहेलियों ने एक - दूसरे को खुशी - खुशी गले लगाया ।
आज तक सुरभि ने वह प्राइज़ और रौशनी ने वह मैडल अच्छे से संभालकर रखा है । दोनों की दोस्ती अब भी बरकरार है । सुरभि ने रौशनी के अलावा किसी की भी बातों पर ध्यान नहीं दिया और एक कामयाब कवयित्री बन गई और रौशनी एक जांबाज़ पुलिस ऑफ़िसर !
समाप्त