Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Abdul Talib khan

Inspirational

4.5  

Abdul Talib khan

Inspirational

भक्ति की शक्ति

भक्ति की शक्ति

5 mins
24.4K


नमस्कार, आज मैं आपको भगवान् में सच्ची निष्ठां के बारे में कुछ बताने जा रहा हूँ। 

जैसा की आप सब को पता है हम कलयुग में जी रहे है और यहाँ सब ग़िद्धो की तरह एक दूसरे को नोच खाना चाहते है। ऐसे युग में बहोत कम लोग ऐसे है जो भगवान् की सच्चे मन से अराधना करते है। मगर शदियों पहले बहोत सारे ऋषिमुनि और मनुष्य ऐसे भी थे जिन्होंने कई साल सच्चे मन से भगवान् की भक्ति में लीन होकर भगवान् की प्राप्ति की थी। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योकि उन लोगो का बस एक ही लक्ष्य होता था, सारे स्वार्थ त्याग कर भगवान् की भक्ति में मन से लग जाना , वे किसीको दिखावा नहीं करना चाहते थे इसलिए एकांत में तपस्या करते थे।  

तो अगर आप भगवान् को सच्चे मन से पूजते हो बिना किसी दिखावे के बिलकुल वैसे ही जैसे आप किसी की मदद करते हो और उसका एहसान जताते हो तो उस मदद का कोई अर्थ नहीं अगर आप इस काबिल हो की किसी की मदद कर सको बिना किसी फल के तो आप करो दिखावा मत करो उसी प्रकार भगवान् की भक्ति करो बिना किसी फल और दिखावे के। भक्ति की एक सच्ची मिसाल आपको बताने जा रहा हूँ। 

एक लड़की थी उसे अपने घर के संस्कारो की वजह से लड्डू गोपाल की भक्ति मिली।उस लड़की की बड़ी आस्था थी लड्डू गोपाल में वह लड़की हमेशा वृन्दावन जाती थी और लड्डू गोपाल के दर्शन करके आती थी !

धीरे धीरे वह बड़ी होती रही पर उसने वृन्दावन जाना नहीं छोड़ा। उसकी शादी हो गयी, बच्चे हो गए, वो भी बड़े हो गए, उनकी भी शादी हो गयी !

पर उस लड़की का नियम कायम था जब वो लड़की बहुत बुढ़िया हो गयी और उसके बस का चलना नहीं रहा तो वो वृन्दावन जाकर लड्डू गोपाल की एक मूर्ति ले आई !

वह घर में रह कर ही उनकी पूजा करने लगी एक दिन पूजा करने के बाद उस बुढ़िया ने अपनी बहु से कहा -बहु ! इस मूर्ति को अंदर वाले कमरे में रख दे !

बहु उस मूर्ति को लेकर अंदर गयी पर गलती से उससे वह मूर्ति हाथ से छूट गयी बड़ी जोर के आवाज हुई !

बुढ़िया घबराई जोर से चिल्लाई, – क्या हुआ बहु !

बहु बोली – कुछ नहीं माँ जी केवल मूर्ति गिर गयी है !

यह सुन कर बुढ़िया जोर जोर से रोने लगी।वो रो रो कर यही चिल्लाये जा रही थी – कोई जाओ और जाकर डॉक्टर को बुलवाओ।मेरे लड्डू गोपाल को चोट लग गयी।मेरे लड्डू गोपाल को चोट लग गयी !

पहले तो बहु ने सोचा के बुढ़िया नाटक कर रही है पर जब काफी देर हो जाने के बाद भी वोह चुप नहीं हुई तो बहु को लगा की बुढ़िया पागल हो गयी है अक्सर बुढ़ापे में लोग सठिया जाते है !

शाम को जब बुढ़िया का बेटा घर आया और उसे बहु ने सब समझाया तो उसे भी लगा की माँ सचमुच पागल हो गयी है । भला मूर्ति के लिए भी कोई डॉक्टर आता है !

फिर उसे अपने बच्चो का ख्याल आया और उसने निश्चय किया की माँ को पागल खाने भेजना पड़ेगा।नहीं तो माँ के पागलपन का असर मेरे बच्चो पर भी पड़ सकता है !

वहां पास में ही एक समझदार आदमी रहता था जब उसके कानो तक यह बात पहुची तो उसने, उस माँ के बेटे को बुलाया और उसे समझाया – देखो बेटा बुढ़ापा और बचपन दोनों एक जैसे होते है जो आदते बचपन में होती है वो ही बुढ़ापे में तू एक काम कर जा और एक डॉक्टर को बुला ला !

उसे पहले से ही समझा दियो की तुझे एक मूर्ति का चेकअप करना है और बाद में यह बोलना है की मूर्ति तो बिलकुल ख़त्म हो चुकी है !

जब उसे पैसे मिलेंगे तो भला उसे क्या दिक्कत होगी यह कहने में इस तरह तुम्हारी माँ को पागल खाने भी नहीं जाना पड़ेगा और उसकी जिद्द भी पूरी हो जायेगी !

बेटे को बात समझ में आ गयी वो गया और जैसा उस आदमी ने बताया था एक डॉक्टर को समझा दिया !

डॉक्टर भी राजी हो गया। अगले दिन डॉक्टर उस बुढ़िया के घर गया और घर में घुसते ही बोला – अरी बुढ़िया कहा है तेरे लड्डू गोपाल ?

बुढ़िया ने मूर्ति को दिखाते हुए कहा – आओ डॉक्टर साहब आओ ! देखना जरा क्या हो गया मेरे लड्डू गोपाल को !

डॉक्टर दूर से ही बोला – अरी बुढ़िया इस में तो जान बाकि नहीं है यह तो ख़तम हो गया !

बुढ़िया को गुस्सा आ गया बुढ़िया ने डॉक्टर से पूछा – क्यों रे डॉक्टर कितने साल हो गए तुझे डाक्टरी करते हुए !

डॉक्टर सकपकाया और – बोला 40 साल पर क्यों ?

बुढ़िया ने कहा – इतने साल हो गए तुझे डाक्टरी करते हुए पर। इतना समझ नहीं आया की मरीज को हाथ लगाये बिना उसकी बीमारी का पता नहीं चलता !

डॉक्टर को लगा की वो कुछ ज्यादा ही जल्दी अपना। काम ख़तम कर रहा है !

उस ने जा कर मूर्ति की हाथ के नब्ज देखी और कहा – ले माँ कुछ नहीं है तेरे लड्डू गोपाल में !

बुढ़िया बोली – बेटा सही से देख ऐसा नहीं हो सकता !

डॉक्टर ने इस बार छाती को चेक कर के देखा। और फिर बोला – माँ कुछ नहीं है अब तेरी मूर्ति में। यह ख़त्म हो गयी !

बुढ़िया ने कहा – बेटा वोह जो मशीन होती है न तुम्हारे पास उस से चेक कर के देख !

डॉक्टर समझ गया की बुढ़िया स्तेथोस्कोप की बात कर रही है ! अब उस को पैसे मिले थे तो उसे क्या दिक्कत थी वोह भी लगा कर चेक करने में जवाब तो उसे पता ही था !

उस डॉक्टर ने अपना स्तेथोस्कोप निकाला और उस को उस मूर्ति के छाती पर रखा मूर्ति में से जोर जोर के धक् धक् के आवाज आई !

डॉक्टर घबरा गया उसने बार बार चेक करा और हर बार धक् धक् की आवाज आई !

उस डॉक्टर ने उस बुढ़िया के पैर पकड़ लिए और बोला – की माँ यह जो दुनिया तुझे पागल कहती है असल में यह दुनिया पागल है जो इस मूर्ति के पीछे छुपी तेरी भावनाओ को नहीं देख सकी इस मूर्ति में जान नहीं थी यह तो तेरी श्रद्धा थी की इस मूर्ति में भी जान आ गयी।


Rate this content
Log in

More hindi story from Abdul Talib khan

Similar hindi story from Inspirational