Manju Yadav

Drama

4.5  

Manju Yadav

Drama

भेंट

भेंट

2 mins
365


बात उस समय की है जब मेरी पोस्टिंग एक छोटे से गांव में थी। काम के सिलसिले में मैं अकसर गांव की महिलाओं के संपर्क में रहती थी। इस बीच लक्ष्मी नाम की महिला के साथ कुछ अलग सा लगाव हो गया था। हाल ही में एक एक्सीडेंट के दौरान उसके पति की मृत्यु हो गई थी।

उसका पति रोज साइकिल से मजदूरी करने के लिए पास के एक कस्बे में जाया करता था। रात को घर वापस आते समय एक ट्रक ने उसे कुचल दिया। लक्ष्मी के अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मृत्यु हो चुकी थी। उसकी दयनीय स्थिति को देखते हुए मैंने उसे अस्पताल में साफ सफाई के लिए रखवा लिया। लक्ष्मी बड़ी ही मेहनत और ईमानदारी से अपना कार्य करती थी। समय मिलने पर वह अपना दुख भी मुझसे बांट लेती थी। लक्ष्मी खाली समय मिलने पर लोगों के खेतों में भी काम कर लेती थी। मुझसे जितना हो सकता समय समय पर उसकी आर्थिक मदद कर देती थी।

मकर संक्रांति का त्यौहार आने वाला था। मैंने उसे व उसके बच्चों के लिए कुछ उपहार दिए। मेरे बहुत कहने पर उसने पैसे रख लिए। दो दिन बाद वह मेरे पास आई और अपने आंचल को आगे करके बोली, मैडम जी मैं‌ आपके लिए कुछ लाई हूं। इतना कहते हुए उसने कपड़े की गांठ को खोला।

मैं आश्चर्य चकित थी। वह भेंट स्वरूप मेरे लिए कुछ दाल लाई थी। मैंने हैरान होते स्वर में बोला यह क्यों लाई हो मेरे लिए। तुम इसे अपने बच्चों के लिए रखो। वह बोली, आप मेरी इतनी मदद करतीं हैं सो मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है। मैंने उसे समझाने का काफी प्रयास किया किन्तु वह किसी भी स्थिति में मानने को तैयार नहीं हुई और बोली, मैं छोटी जाति की हूं क्या इसलिए आप मेरे हाथ का नहीं ले रहीं? अब इसके पश्चात मेरे पास कोई तर्क शेष न था। मैंने उनकी भेंट स्वीकार की और कहा तुम बहुत बड़ी हो और तुम्हारा स्वाभिमान भी बहुत ऊंचा है।


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