राजकुमार कांदु

Tragedy Inspirational

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राजकुमार कांदु

Tragedy Inspirational

बेकार चीज

बेकार चीज

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फलक :17


बेकार चीज 


रामू एक किसान था। अब वृद्ध हो चला था सो उसके तीनों बेटे ही अब खेती बाड़ी का काम देखते थे। खेती के अलावा उसके घर पर कई भैंसें गायें और बैल भी थे। रामू एक दिन घर पर ही गाय भैंसों को भूसा व घास डाल कर हटा ही था कि अपने घर के सामने कल्लू कसाई को खड़े देखकर चौंक गया। कल्लू ने रामू को नमस्ते करते हुए बताया, "रमेश बाबू ने कहा है वह बुढ़िया भैंस जो है न वह मैं ले जाऊँ ! आपकी इजाजत हो तो मैं ले जाऊँ? हिसाब किताब रमेश बाबू से हम समझ लेंगे। कह रहे थे, अब इसने दूध देना भी बंद कर दिया है और काफी बूढ़ी भी हो गयी है …….!”

अभी उसकी बात ख़त्म भी नहीं हुई थी कि रामू दहाड़ उठा ” खबरदार! जो हमारे किसी जानवर की तरफ नजर भी उठाकर देखा तो! अभी मैं जिन्दा हूँ और हमने जानवर सिर्फ पैसे के लिये नहीं पाले हैं बल्कि इसलिए पाले हैं कि हमें उनसे प्यार है और हमेशा रहेगा चाहे वो हमारे लिए फायदेमंद न रहें तब भी।” 

कल्लू कसाई ने लौट जाने में ही अपनी भलाई समझी ।


आवेश से हांफते हुए रामू बड़बड़ाये

जा रहा था, ”अरी भागवान ! सुनती हो! ये रमेशवा अपनी बुढ़िया भैंसिया को कल्लू कसाई को बेचने जा रहा था। ये तो लगता है किसी दिन हम दोनों को भी बेच देगा। अब हम लोग भी तो उसके लिए बेकार हो गए हैं न? “


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