Niharika Singh (अद्विका)

Drama

5.0  

Niharika Singh (अद्विका)

Drama

बदलते रिश्ते

बदलते रिश्ते

2 mins
354


माँ तुम कब तक अकेले यहाँ रहोगी। हम लोगों को आपकी चिंता लगी रहती है, करण ने अपनी माँ से कहा जो बाबू जी की मृत्यु के बाद से लखनऊ में इतनी बड़ी हवेली में अकेली रहती थीं । श्यामा बोली बेटा अकेली कहाँ हूँ। तुम्हारे बाबू जी की यादें जुड़ीं है इस घर से। तुम्हारा बचपन भी तो इसी हवेली में बीता है तो बस उन्ही यादों के सहारे मेरा बुढ़ापा भी कट जाएगा। करन ने आस -पड़ोस वालों से भी माँ को समझाने के लिए कहा। सभी ने यही कहा अब इस उम्र में कहाँ अकेली पड़ी रहोगी | बेटा इतना होनहार है ,वरना आज की औलादें कहाँ पूछती ही हैं अपने माँ -बाप को।

सभी के समझाने पर बूढ़ी माँ हवेली बेचने को तैयार हो गई। दिल में समेटे पुरानी यादों को उसने हवेली से विदाई ली। टैक्सी आई वो लोग एयरपोर्ट पहुँच गए। मोहल्ले में श्यामा के बेटे-बहू के ही चर्चे थे कि कैसा श्रवणकुमार जैसा बेटा है उसका।

इधर करन अपनी पत्नी के साथ माँ से यह कहकर कि आप यहीं प्रतीक्षा करो हम लोग सामान बुक करवाकर आते हैं। माँ बेचारी इन्तजार करती रही। चार -पाँच घंटे गुज़र जाने पर श्यामा ने जाकर टिकट खिड़की पर पता किया तो मालूम पड़ा कि कनाडा वाली फ्लाइट तो चार घंटे पहले ही उड़ गयी थी। श्यामा को तो मानो लकवा ही मार गया हो उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका अपना बेटा ही ऐसा दर्द देगा।

आँखों में आँसू लिए यादों की पोटली टटोल्टी बूढ़ी माँ यही सोच रही थी कि शायद दौलत की खातिर बदलते जा रहे हैं अब रिश्ते।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama