बचपन के लिये ज़रूरी
बचपन के लिये ज़रूरी
आज भी बचपन की कहानी याद आती है
हमारा ख्याल रखती दादी नानी याद आती है
वो किसी धागे से बांध देती थी सारा परिवार
कैसे मिल कर मनाते थे हम सारे त्योहार
वो होली में अनगिनत रंगों में रंग जाना
दशरहे पर मेला सब बच्चो का साथ में जाना
घर मे जाते ही ढूंढते थे बाबा की अलमारी
उन बिस्किट के पैकेट में छुपी थी खुशी हमारी
वो घंटों बाबा से सुनना अपने पूर्वजो की बातें
हँसते खेलते कट जाती थी सारी दिन रातें
अम्मा ने सारे रस्म सारे व्रत सबको सिखाये
वही त्योहार सारे परिवार को जोड़ते आये
नाना नानी ढेरों खिलोने ले कर आना
बच्चों से साथ फिर बच्चो सा बन जाना
आज चाहे रिश्तों में थोड़ी दी दूरी है
बाबा दादी नाना नानी बच्चों के फिर भी जरूरी है।