बारिश
बारिश
हाँ मेरे दोस्त, वही बारिश...वही बारिश जो आसमान से आती है। बूँदो में गाती है। पहाड़ों से फिसलती है। नदियों में चलती है। नहरों में मचलती है। कुएँ पोखर से मिलती है। खपरालो पर गिरती है। गलियों में फिरती है।मोड़ पर संभलती है। फिर आगे निकलती है।
वही बारिश, यह बारिश अक्सर गीली होती है। इसे पानी भी कहते है। उर्दू में आब, मराठी में पानी, तमिल में तन्नी, कन्नड़ में नीर और बांग्ला में जोल कहते हैं। संस्कृत में जिसे वारी नीर अमृत पाए अंबु भी कहते है। ग्रीक में इसे आक्वा पूरा। अँग्रेज़ी में इससे वॉटर भी कहते है। फ्रेंच में औऊ और केमिस्ट्री में H20 कहते हैं।
यह पानी आँख से ढलता है तो आँसू कहलाता है लेकिन चेहरे पे चढ़ जाए तो रुबाब बन जाता है।
कोई शर्म से पानी - पानी हो जाता है और कभी - कभी यह पानी सरकारी फाइलों में अपने कुएँ समेत चोरी हो जाता है।
पानी तो पानी है, पानी ज़िंदगानी है।
इसीलिए जब रूह की नदी सूखी हो, मन का हिरण प्यासा हो, दिमाग़ में लगी हो आग और प्यार की गागर खाली हो, तब मैं हमेशा यह बारिश नाम का गीला पानी लेने की राय देता हूँ...!