अपना कौन
अपना कौन
एक शमशान के बाहर लिखा था। कि "आज मैं बहुत उदास हूं कृपया कोई अंदर ना आये "उसको देखकर कोई भी पढे़ लिखे लोग अंदर नहीं गये उन लोगों ने ये तक नहीं सोचा कि अंदर उनका कोई अपना हो सकता है , वह कौन है दुखी क्यूं है? किसी ने नहीं सोचा यही बात है अपनों को पहचानना पड़ता है जो आपके मना करने के बाद भी आपका साथ दे आपका दुख पूछे वही आपका अपना है।