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Aman Sharma

Inspirational

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Aman Sharma

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अन्तर्मन की यात्रा

अन्तर्मन की यात्रा

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जीवन के उस क्षण में जब हम अकेले होते हैं तो अन्तर्मन अपने होनें का एहसास देता है। ऐसा एहसास जो कई प्रश्नों के समाधान के साथ अवस्थित होता है। वस्तुत: मन को चंचल कहा गया है परन्तु विवेक ऐसा सारथी है जो मन को सही दिशा में प्रेरित करता है।

जब तक काम, क्रोध एवं मोह रूपी शत्रु से विवेक रूपी मित्र पराजित नहीं होता तब तक हम परम सुख की अनुभूति करते हैं। वेदों का सार उपनिषद कहे गए हैं और उसमें कहा गया है कि 'जीवो ब्रह्मैव न अपर:' अर्थात जीव और ब्रह्म एक ही है उसमें कोई अंतर नहीं है।

इसलिए भौतिक जगत के सुख के लिए अन्तर्मन की यात्रा मन्दिर के तीर्थ का ही सुख देती है।


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