Rahul S. Chandel

Drama Crime

4.0  

Rahul S. Chandel

Drama Crime

अन्तिम न्याय

अन्तिम न्याय

8 mins
719


Characters of story::

विलियम - एक कपड़ा व्यापारी, जो बस स्टैंड पर बैठा है।

लुईस और रॉनी - विलियम के बिजनेस पार्टनर


कहानी :

कनाडा की राजधानी ओटावा में एक सर्दी कि रात और किसी शख्स का सड़क पर पड़े मौत का इंतजार करना, किसी को भी ये सोचने पर मजबूर कर सकता है कि आखिर इसके साथ ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से ये इस हाल में पड़ा है। विलियम अपने 2 बच्चों को कॉलिंग बूथ के पीछे बैठा आया है और खुद भी कुछ कदम दूर बस स्टैंड जिसकी छत बर्फबारी से टूट चुकी है, की बेंच पर सोने की कोशिश कर रहा है। शहर का तापमान -20°c तक पहुंच गया है। सभी दूसरे लोग घरों के अंदर आग के सामने या रूम हीटर के सहारे शरीर का तापमान सामान्य रखने की कोशिश कर रहे है। 2 सप्ताह पहले रविवार के ही दिन आखिरी बार बाजार लगी थी, तब विलियम ने शहर में लोगों को देखा था। कॉलिंग बूथ पर किसी की फोन कॉल की घंटी सुनाई देती है लेकिन वहां शायद फोन अटेंडेंट नहीं है। रात की वजह से उसकी ड्यूटी खत्म हो गई थी। फोन कॉल की आवाज मानो बच्चों के लिए आशा की एक किरण जैसी लगी। विलियम का एक बेटा उठकर पिता के पास जाकर बोलता है, डैड क्या ये कॉल हमारी मदद के लिए है। विलियम कुछ बोल नहीं सका। बेटा कॉल उठता है। हैलो, और फोन कॉल कट जाती है। बेटा पापा से पूछता है हम 2 हफ्तों से यहां क्यों रह रहे और हमारे पास खाना भी नहीं है। विलियम कुछ सोचता है। और उसकी आंखें पहली बार आंसुओं से भर जाती हैं। वो अब सब कुछ अपने 10 साल के बेटे को बता देना चाहता है। विलियम के मुंह से शब्द अब ऐसे बाहर निकाल रहे है जैसे वो चर्च के पादरी के सामने अपने गुनाहों के लिए माफी मांग रहा हो। विलियम बताता है कि कैसे वो एक संपन्न व्यापारी था और कुछ महीनों पहले कि गलती उसके जीवन की आखिरी गलती बन रही है। विलियम आगे बताता है कि मैं अपने कपड़ों के व्यापार के लिए उच्च क्वालिटी के सिल्क की डील करने हांगकांग गया था। मेरे साथ, मेरे बिजनेस पार्टनर रॉनी, लुईस और शहर के तमाम बड़े कपड़ा व्यापारी भी थे। हम हवाई जहाज से रवाना होते है। फ्लाइट एक नए शहर में जाकर उतरती है। हांगकांग में आपका स्वागत है, एक छोटे कद का तेज तर्राट आदमी बोलता है। सभी उसके साथ एक होटल जाते है। और वहां जाकर रात गुजरने का फैसला करते है। सभी अब आराम करना चाहते थे। हम में से एक ने टीवी खोला। जिसमें एक एंकर बता रही थी कि कैसे हांगकांग में एक रहस्यमई बीमारी ने लाखों लोगों की जान ली है और ये सिलसिला अभी भी थम नहीं रहा है। सरकार देश की अर्थव्यवस्था ना बिगड़े इसलिए ये खबर ना बाहर देशों तक नहीं फैलने दे रही है और ना दफ्तरों को बंद करने दे रही। ये बीमारी लोगों के एक दूसरे के संपर्क में आने से फैल रही थी। लोग मास्क लगा कर एक दूसरे से मिल रहे थे। हाथ भी नहीं मिला सकते थे, ना आमने सामने बात कर रहे थे। कम से कम सावधानी और पुलिस व्यवस्था तो चाक चौबंद कर दी गई थी।

मैंने वहां के कपड़ा अध्यक्ष को फोन किया और मीटिंग से पहले कुछ खास बात करने का समय मांग लिया। थोड़े ना -नकार के बाद वो राजी हो गया। अगले दिन सुबह मैं सभी सावधानियों को ताक पर रखकर अध्यक्ष महोदय से जा मिला, क्योंकि सबके साथ मीटिंग में मैं सस्ते दामों में और अधिक मात्रा में कपड़ा लेने की बात नहीं कर सकता था। मुलाकात अच्छी रही थी। निश्चित रकम के बदले, वो अध्यक्ष मेरी बात मान गया था। मैं खुशी से वहां से निकाला और स्ट्रीट फूड का मजा लेते हुए होटल आ गया। वापस आकर मैंने चाय पी और आराम से बैठ गया। अपने पार्टनर्स से बात करते हुए मैंने कहा कुछ नहीं है ये टीवी वाले केवल हवा बनाते है। कभी कोई बीमारी कभी कोई क्राइम, इनके पास बस यही है। इनको कौन बताएं देश पैसे से चलता है। सबने मेरी हां में हां मिला दी। थोड़े आराम के बाद सब के साथ मीटिंग जाने का समय होता है और केवल दिखावे के लिए ही सही, मैं भी उनके साथ जाता हूं। पता तो था ही कि मुझे मेरी जरूरत भर का कपड़ा मिल जाएगा। ये लड़े अब आपस ने मुझे क्या। वक़्त वापस जाने का होता है। हम सब वापस आते है और तभी ओटावा के एयरपोर्ट में मुझे रोक लिया जाता है। कुछ देर आपस में बात करने के बाद एक एयरपोर्ट कर्मी मुझे आकर कहती है आपको मेडिकल चेकअप के लिए रुकना होगा। मैं अश्चायाचकित था। हांगकांग की खबरें अब मेरे दिमाग में बार बार आ रही थी। जांच होती है। मैं उस बीमारी का शिकार हो गया था। मैंने हॉस्पिटल के डॉक्टर को पैसे देकर चुप कराया और अपनी राजनीतिक पहुंच कि वजह से एयरपोर्ट से निकाल आता हूं। मैंने ये बात किसी को नहीं बताई, अपने पार्टनर्स को भी नहीं। मैं अगले दिन से काम पर लग जाता हूं। अपने निजी डॉक्टर से अच्छे से अच्छा इलाज करने और किसी को कानों कान खबर ना होने देने को कहता हूं। सब सामान्य हो गया था कि अचानक से एक रात रॉनी का फोन आता है वो हॉस्पिटल में गंभीर हालत में था। मैं और लुईस तुरंत हॉस्पिटल पहुंचे। वहां डॉक्टर किसी विदेश से आई बीमारी की बात कर रहे थे जो आजकल हांगकांग में फैल रही है। और अब ये कई देशों के लोगों तक फैल चुकी थी। मुझे अब अफसोस हो रहा था कि उसको मेरे साथ रहने और काम करने से ही वो बीमारी हुई थी क्योंकि वो तो हांगकांग की उस सुबह होटल में ही रुका था मैं ही बाहर गया था और बिना किसी सावधानी के स्ट्रीट फूड भी खाए थे। पर मुझे काम पर लौटना था मैं लुईस के साथ वापस ऑफिस आ गया। काम के दौरान मुझे रॉनी की जरूरत पड़ी मैंने और लुईस ने एक कॉन्फ्रेंस कॉल की। जिसमें बातों बातों में मैंने उस सुबह की सारी बातें और एयरपोर्ट की घटना रॉनी को बता दी। बात खत्म होती है और मैं काम पर लग जाता हूं। उसी शाम रॉनी की मौत हो जाती है। अब तक मेरे साथ रहने कि वजह से लुईस को भी ये बीमारी लग चुकी होती है। कुछ दिन बाद, सुबह का वक्त था मेरे घर में बाहर पुलिस कि एक टीम खड़ी हो जाती है। जैसे ही मैं बाहर आता हूं वो मुझे अपने साथ चलने को कहते है। मेरे ऊपर उस बीमारी फैलाने के जुर्म में एक डॉक्टर ने केस कर दिया था। ये वही डॉक्टर था जिसने एयरपोर्ट से बाहर आते समय मेरी जांच की थी। बहुत मुश्किल से मैं कोर्ट को ये समझने में सफल हो जाता हूं कि वो बीमारी मैंने नहीं मेरे पार्टनर लुईस ने फैलाई है। अभी उसको भी तो यही बीमारी है। और फर्जी सबूतों के दम पर मैं केस से बच जाता हूं। लुईस को एक मोटी रकम देकर कुछ दिन जेल जाने को कहता हूं। साथ में ये वादा भी करता हूं कि वहां मेरे परिचय के एक जेलर हैं जो तुम्हारा ध्यान रखेंगे और जेल के हॉस्पिटल में तुम्हारा इलाज भी होता रहेगा। सब कुछ ठीक हो गया था मेरी बीमारी भी अब ठीक हो गई थी। व्यापार भी खूब अच्छे से चल रहा था। एक सुबह मैं अपने घर में सो रहा था कि घर में पत्थर गिरने लगे, बाहर भीड़ में लोग इकट्ठा थे और मेरे घर में तोड़फोड़ कर रहे थे। मेरे खिलाफ कई नारे लगाए जा रहे थे। मैंने टीवी खोला, न्यूज़ में वो कॉन्फ्रेंस कॉल की रिकॉर्डिंग सुनाई जा रही थी जो मैंने लुईस और रॉनी के साथ बात में कहीं थी। रॉनी कि वाइफ के हाथ वो रिकॉर्डिंग लग चुकी थी और अब वो एक बड़े न्यूज चैनल में इसको टेलिकास्ट कर रही थी शायद अपने पति का बदला लेने के लिए। मैं हजारों लोगों की मौत का जिम्मेदार था। देश मुझे गद्दार और देशद्रोही कह रहा था।

विलियम आगे अपने बेटे को बताता है कि उसके बाद कैसे वो अपने दोनों बेटों को लेकर शहर के किनारे भाग आया। जहां लोग उसे ना देख पाए वरना वो उन सबको मार देंगे। भीड़ ने उसके घर ऑफिस सब जला दिए थे और उसके ऊपर देश के दुश्मन का ठप्पा लग चुका था। बेटे को शायद ज्यादा कुछ समझ नहीं आता है वो कहता है हम अब क्या करेंगे और वापस भाई के पास जाकर उसके सर में हाथ रख कर सो जाता है। सर्दी और तेज बर्फबारी कि वजह से वो तीनों वही जम जाते है और उनके ऊपर बर्फ कि मोटी चादर फैल जाती है।


Moral of the story:: 

जिस तरह से हमारे शरीर में हाथ पैर और दूसरे अंग है किसी एक अंग को काटो तो दूसरे को उसकी वजह से परेशानी होती है। अगर हमारे एक पैर में चोट लगती है तो हम कई दिनों तक बिस्तर में पड़े रहेंगे और पड़े पड़े कमर दर्द भी होगा। साथ में हाथ को भी अधिक मेहनत करनी पड़ेगी और पैर को तो तकलीफ होना ही है। उसी तरह हम सब समाज का हिस्सा हैं एक के अच्छा काम करने से सबको लाभ होता है और एक के ही बुरा काम करने से सबको नुकसान भी होता है। इसीलिए भारत के संविधान में विश्व बंधुत्व कि व्याख्या है।



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