अंतहीन
अंतहीन
ये मेरे साथ ही क्यों हुआ ? तेज़ी से ऑफिस की सीडियाँ उतरती अनुराधा के जेहन मे बस यही चल रहा था। आखिर उससे ऐसी क्या गलती हुई जिसकी उसे इतनी बड़ी सजा मिली। माँ- बाप की इकलौती औलाद ; घर मे सबकी चहेती। आज तक जिसकी हर छोटी से छोटी ख्वाहिश के लिए पलके बिछाई गई थी उसे ही अपनी ज़िन्दगी का इतना बड़ा फैसला लेने का हक क्यों नहीं है? क्या कमी है राजेश मे ? डॉक्टर है, ब्राम्हण भी है।उनकी दोस्ती पिछले छह साल से है। पहले तो सबने उन दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था फिर आज ऐसा क्या हुआ जो मना कर दिया। आज तो राजेश की माँ पहली बार उसके घरवालो से मिलने उसके घर आई थी, फिर ? कही दहेज़ के कारण ? नहीं-नहीं, राजेश के घरवाले तो उसे बहुत ही भले लगे थे। घर पर तो सभी गुस्से मे होगे, मैं कैसे सामना करूँगी। इसी जद्दोजहद मे वो घर कब पहुच गई उसे पता ही नहीं चला।
पर ये क्या, घर मे तो मातम सा छाया हुआ देखकर अनु असमंजस मे पढ़ गई। उसके मन मे हलचल सी चल रही थी की जब सारा परिवार इस रिश्ते के ना होने से दुखी है तो आखिर क्यों ? पर कोई कुछ बताना ही नहीं चाहता। खाना खाते हुए भी किसी ने कोई बात नहीं की।निराश होकर अनु अपने कमरे मे सोने के लिए आ गई।
आज नीद तो उसकी आखों से कोसों दूर थी। क्या गलती हुई उसे समझ नहीं आ रहा था।
अचानक दरवाजा खुला, देखा तो माँ आई थी। उनको देखकर वो मुँह फेरकर रोने लगी। माँ धीरे से पास आई तो उसकी सिसकिया तेज़ हो गई।
सोई नहीं मेरी बच्ची ?
आखिर क्यों माँ आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो ? क्या कमी है उसमे ? अगर नापसंद था तो पहले ही बता देती। मुझे सपने दिखा के क्यों रोंद दिए?
अनु ; हमें कोई आपत्ति थी ही नहीं। पर नियति ही ऐसी थी कि ये रिश्ता नहीं हो सकता है।
पर क्यों माँ ? क्यों ? आप जवाब दो माँ क्यों?
बेटा ; कुछ बातें न जानना ही अच्छा होता है। जिद न कर।
नहीं माँ आप बताओ, नहीं तो आप मुझे खो दोगी।
अच्छा तो सुन। तेरे सबसे बड़े मामा थे विशाल, उनका देहांत तो तभी हो गया था जब तू पैदा नहीं हुई थी।
हां मै ये सब जानती हूँ पर इस सब का मेरी शादी से क्या लेना – देना ?
है बेटा, विशाल और माला की शादी को एक साल ही हुआ था; उसका चार माह का बेटा माला के पेट मे था। उस बच्चे और माला की ज़िन्दगी की खातिर तेरे नाना जी ने माला की शादी एक बच्ची के पिता प्रशान्त जी से चुपचाप करवा दी। पर चूकिं पुनर्विवाह को अच्छा नहीं माना जाता इसलिए वो दोनों गाँव छोड़ कर चले गये और सामाजिक बंदिशों के कारण हम उनसे कभी नहीं मिले।
तो ??
अनुराधा को किसी तूफ़ान के आने की आशंका सच होती दिखाई दे रही थी।
बेटा ; राजेश ही वो बच्चा है। वो तेरा भाई है।
क्या ? अनुराधा के मुह से चीख निकल गई।
नहीं ये नहीं हो सकता माँ ; ज़िन्दगी मेरे साथ इतना बड़ा अन्याय नहीं कर सकती। अब मैं क्या करूँ माँ ? अब मैं क्या करूँ ?
ये बोलते बोलते अनुराधा अपनी सुध-बुध खोती जा रही रही थी और माँ उसे इस अंतहीन सफ़र की शुरुआत के लिए सभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
