अनपढ़
अनपढ़
आज न जाने क्यों सरजू के घर के चारो तरफ पुलिस ही पुलिस तैनात थी।आस पास के घरों के लोग अपनी-अपनी छतों पर, कुछ गली के मोड़ पर,भीड़ लगाए खड़े जाने क्या- क्या बातें बना रहे थे।तभी एक जीप धड़धड़ाते हुए सरजू के घर के पास आकर रुकी एक पुलिस वाले ने जल्दी से जीप से निकल कर जीप का दरवाज़ा खोला जीप से एक नौजवान अधिकारी बाहर उतरा और सरजू के घर की तरफ चल पड़ा। पीछे-पीछे दोनों पुलिस वाले भी हाँथ में फाइल दबाये अधिकारी की तरफ लपके।
घर में एकदम सन्नाटा पसरा हुआ था कोने में एकअधेड़ उम्र का आदमी सर झुकाये बैठा था,वहीं सामने जमीन पर एक बीस-बाइस साल की युवती का शव सफ़ेद चादर में लिपटा हुआ पड़ा था। ऑफीसर जैसे ही अंदर गया उसने देखा, वह युवक यूँ हीं सर झुकाये बैठा रहा।
तभी पीं पीं की आवाज़ करती हुई एक एम्बुलेंस आ गई। सामने पड़े शव को चार आदमियों ने मिलकर एम्बुलेंस में चढ़ाया, शव बुरी तरह से जला हुआ था।
विद्यालय खुले हुए आज चार दिन हो गए थे, परन्तु शालिनी मैडम आज भी अपनी रसोइयां सरला के न आने पर परेशान ही नहीं अपितु चिंतित भी थीं। शालिनी मैडम विद्यालय की प्रधानाचार्य थीं, अभी ४ माह पूर्व ही उन्होंने सरला को रसोइयां की जगह नियुक्त किया था।
सरला अपने नाम की तरह ही सरल स्वाभाव की और मृदुभाषी थी। कुछ ही समय में विद्यालय के सभी बच्चे उससे हिलमिल गए थे,और बच्चे उसे प्यार से 'सरला मौसी' कहते थे। सरला की शादी को ५ वर्ष हो गए थे, परन्तु उसके कोई बच्चा नहीं था वह अपना हर सुख दुःख शालिनी मैडम से साझा करती थी।
एक दिन सरला विद्यालय आई तो वह कुछ उदास सी थी।उसकी आँखे सूजी हुई थी सर पर चोट का निशान था वह आई और चुपचाप रसोईं में चली गई। मैडम भी उसके पीछे- पीछे रसोईं में आ गईंऔर बोलीं सरला क्या हुआ ?इतनीं उदास क्यों हो ? सिर पर चोट कैसे लगी ?वह मुस्कराई और बोली कुछ नहीं दीदी बस गुसलखाने में पाव फिसल गया।
मैडम ने उसके सिर पर हाँथ रखा और बोली सच बताओ क्या हुआ ? तुम मुझे दीदी कहती हो, तो क्या बड़ी बहन को नहीं बताओगी ?सरला ने मैडम का हाँथ अपने हाँथ में पकड़ लिया और फफक- फफक कर रोने लगी।मैडम ने उसे ढांढस बंधाया। सरला रोती हुई बोली क्या बताऊँ दीदी बचपन से मां-बाप का साया नहीं रहा, बड़ी अम्मा ने जैसे -तैसे पाला, गरीबी के कारन पढ़- लिख भी नहीं पाई,हम जैसो की क्या ज़िन्दगी ?कम उम्र में शादी हो गईं, सोंचा ससुराल में प्यार मिलेगा, पर कहाँ आदमी भी दुगुनी उमर का मिला, उसे तो शराब से ज्यादा पियार है।हवस मिटने के लिए रोज जोर- जबरदस्ती करता है। ५ साल हो गए बच्चा नहीं हुआ, तो क्या हम ही दोसी हैं, रोज मार पिटाई करता है, रोज- रोज दर्द देने से तो अच्छा है मार ही दे।
अब सहा नहीं जाता,मां -बाप भी नहीं जिनसे अपना दुःख कह सकूँ।आपके तो दीदी हम पर पहले से ही बहुत अहसान है, हम और बताकर आपको परेशान नहीं करना चाहते। इतना कहकर वह फूट -फूट के रोने लगी।
उसका रोना सुनकर पास की कक्षा में बैठी लड़कियां दौड़कर आ गयीं,और रोशनी {मीना मंच की मीना प्रेरक}बोली मौसी क्या?सरला को रोता देखकर बच्चो की आँखों में भी आंसू आ गए।रोशनी बोली मौसी आप परेशान न हो हम सब मिलकर आपकी मदद करेंगे,आपको ऐसे कोई कैसे मार सकता है।
मैडम सरला के विषय में सोंच ही रहीं थीं कि, एक बच्चा दौड़ा-,दौड़ा आया और जोर-जोर से रोरो कर मैडम को बताने लगा -मैडम, अब सरला मौसी हमारे बीच नहीं रहीं। सरजू {सरला का पति }ने उन्हें जलाकर मार दिया है।अभी -अभी एम्बुलेंस आई है और उनकी जली हुई लाश को ले जा रही है और सरजू को पुलिस ने पकड़ लिया है।
अभी मैडम कुछ समझ पातीं, तभी पीं- पीं कि आवाज़ कानों को चीरती हुई सुनाई दी।विद्यालय के मुख्य द्वार के सामने से एम्बुलेंस में सरला की लाश जा रही थी।विद्यालय के सभी बच्चे सरला के पार्थिव शरीर को देखकर चीख-चीख कर रो रहे थे।
दूसे दिन विद्यालय में सन्नाटा था किसी की मुस्कराहट की कमी सभी को परेशान कर रही थी।सभी चुपचाप प्रार्थना सभा में खड़े थे तभी रोशनी {मीना मंच की प्रेरक} ने डबडबाई आँखों से जोर से कहा -हम लोग आज से कसम खाते हैं कि सभी लोग अपनी पढाई पूर्ण करेंगे,बीच में नहीं छोड़ेंगे, अपने पैरों पर खड़े होने के बाद ही विवाह करेंगे। कम उम्र में किसी का भी विवाह नहीं होने देंगे। न ज़ुल्म सहेंगे न किसी पर होने देंगे, हम हर हाल में सबकी मदद करेंगे।
मैडम ने आँखों में भर आये आँसुओ को साफ किया, और रोशनी के सिर पर हाथ रखकर सब बच्चों की तरफ मुस्कराते हुए सहमति से सिर हिलाकर मौन सन्देश बच्चों को दे दिया।
