अनोखा जादू प्यार का
अनोखा जादू प्यार का
पहली नजर का प्यार भी क्या कमाल होता है! खुद को भी खबर नहीं होती और पहलु से दिल निकल जाता है। यह १५ -१६ साल की उम्र अपने साथ नई बेचैनियां लाती है। इन्हीं बेचैनियों से गुजर रही थी रिचा, जब से उसने अपनी कक्षा में आए नए विद्यार्थी आलोक को देखा था। अभी बात भी नहीं करी थी उससे तो दिल की बात बताना तो दूर, बड़ी हसरतो से उसे ताकती मगर आलोक अपने दोस्तों में ही मस्त रहता । उसने अपना अधूरा काम भी आसपास बैठे लड़कों से ही पूरा किया। इधर रिचा आलोक से बात करने के लिए रोज नए तिकड़म व तरीके सोचती मगर सामने पड़ते ही हिम्मत जवाब दे जाती। यूं ही अपने सपनों की दुनिया में रिचा आलोक के साथ रंगीन सपने बुन रही थी, मगर वास्तविकता के धरातल पर दोनों कोसों दूर थे।
तभी, एक दिन आलोक उसके पास आया और अपना स्वेटर उतार कर उसे देते हुए बोला " स्कर्ट के आसपास बांध लो रिचा स्कर्ट खराब हो रही है" ।
रिचा तुरंत बाथरूम में गई और चेक किया तो वाकई वह महीनों की मुश्किल दिनों से गुजर रही थी । उसे पता ही नहीं चला था ! सफेद स्कर्ट पर लाल धब्बा पड़ चुके थे।
उसने आलोक को धन्यवाद करना चाहा मगर आलोक ने कहा, " थैंक्स की कोई जरूरत नहीं है " ।
दिल्ली की ठंड में कितना मुश्किल होता है बिना स्वेटर के रहना, और आलोक ने उफ्फ किए बगैर पूरा दिन निकाल दिया । केवल उसके लिए, यह बात रिचा को अंदर ही अंदर गुदगुदाने लगी । उस रात वह ढंग से सो भी ना सकी । सब कुछ बदल चुका था । ऐसा लगा जैसे बीती रात कमल दल फूले ।अब वे अजनबी नहीं थे एक दूसरे की भावनाओं से।
शायद यही है प्यार।