अहसास
अहसास
हैप्पी न्यू यर चाची।
वर्षों बाद नियति बेहद खुश लग रही थी।
तुम्हें भी शुभकामनाएं।
बहुत खुश लग रही हो ?
हां चाची, प्रणित प्रोबेशनरी ऑफिसर हो गया है।
वाह बहुत बहुत बधाई और आशीष देना प्रणित को।
सुमित जी कैसे हैं ?
बहुत अच्छे। मेरा और मेरे बच्चों का बहुत ध्यान रखते हैं।
बहुत अच्छा लगा।
मुझे वर्षों पूर्व की ठिठुरती ठंड की वह रात याद आ रही थी जब सुमित नियति को बच्चों के साथ ट्रेन में बैठा दिया था। मम्मी के घर के लिए। किसी गलतफहमी के कारण। दरअसल सुमित किसी सहकर्मी को अधिक समय दे रहा था। नियति इस कारण लड़ाई करती थी। उस दिन सुमित ने आकर गुस्से में निर्णय सुना दिया; मां ने कहा तलाक ले लो। मैं अब और नहीं रहूंगा नियति के साथ। मां ने कहा और आपने मान लिया ?
नियति की शिकायत का यह समाधान - अपना घर तोड़ दोगे आप ?
बच्चों का क्या होगा ?
मैं ले जाऊंगा।
और फिर सौतेली माँ लाओगे ? उनका जीवन नर्क बनाओगे ?
इसका यह हक तुम्हें किसने दिया ?
नियति के पापा और घर के बुजुर्गों ने जोर से डांटा था दोनों को। दोबारा तलाक का नाम भी मत लेना, चुपचाप बच्चों को लेकर घर जाइए। एक दूसरे को समझिए। घर उजाड़ना इसका हल नहीं है। कितनी बार घर बसाओगे। आज नियति की खुशी देखकर मैं बहुत खुश थी।
सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो। सही है।
