आशीर्वाद
आशीर्वाद


विवेक ने तेजी से अपना नास्ता खत्म किया और इंटरव्यू के लिए तैयार होने लगा। घर से इंटरव्यू की जगह दूर होने के कारण वो थोड़ा घबराया हुआ था कि कहीं देर ना हो जाय। अपने बालों को ठीक कर घर के छोटे से मंदिर के सामने खड़ा हो गया। ईश्वर से मन ही मन प्रार्थना करने लगा। पिछले छः महीने में विवेक का ये 10वां इंटरव्यू है। पिछली असफलताओं ने विवेक को हतोत्साहित कर दिया है।घर से निकलने से पहले विवेक अपने बाबा के तस्वीर के सामने खड़ा हो अपने बाबा से क्षमा मांगता है। "आपको बहुत निराश किया मैंने, आपकी ये आख़िरी इच्छा जो मुझे एक सफल इंजीनियर बनते देखने की थी आपके जाने के छः महीने बाद भी पूरी ना कर सका। "ये कहते हुए विवेक के आंखो से आंसू छलक गया।
विवेक सिटी बस पकड़ एक घंटे में कंपनी के ऑफिस पहुंच जाता है। विवेक जैसे ही ऑफिस के गेट पर पहुंचता है वहां खड़ा वॉचमैन उससे पूछता है," इंटरव्यू के लिए आए हो ?"
विवेक ने हां में सर हिलाया।"अरे भाई !जरा बाल,कपड़े ठीक तो कर लो इंटरव्यू में अभी समय है " वॉचमैन जोर से बोलता है। और वॉशरूम की तरफ इशारा करता है।विवेक मन ही मन वॉचमैन पर गुस्सा होते हुए वॉशरूम जाता है। जिसे देखो वही ज्ञान देता है खुद में बड़बड़ाते हुए अपने कपड़े व बाल ठीक करता है।
जैसे ही विवेक वॉशरूम से बाहर आता है, वॉचमैन मुस्कुराते हुए बोलता है कि फर्स्ट फ्लोर पर कॉन्फ्रेंस हाल है वहां जाइए। कान्फ्रेंस रूम में कुछ अभ्यर्थी पहले से ही बैठे थे। विवेक भी एक कोने में बैठ जाता है। कुछ देर में पूरा रूम भर जाता है।विवेक भीड़ देख अंदर ही अंदर डर जाता है। यूं तो विवेक ने लगभग सारे कम्पनियों के लिखित परीक्षा पास किया पर इंटरव्यू में उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है।
असफलताओं ने उसके आत्मविश्वास को काफी कमज़ोर कर दिया है। आज भी उसका आत्मविश्वास काफी हिला हुआ है।कुछ देर में इंटरव्यू आरंभ हो जाता है। रिसेप्शन पर बैठा व्यक्ति सबको एक क्रम से बुलाता है और डॉक्युमेंट्स चेक कर अन्दर बैठे इंटरव्यू पैनल के पास भेज देता है।लगभग 10-15 मिनट में एक अभ्यर्थी का इंटरव्यू खत्म हो रहा था।जैसे जैसे विवेक का क्रमांक पास आ रहा था उसकी घबढ़ाहट बढ़ती जा रही थी। थोड़ी देर में उसका नाम पुकारा जाता है विवेक अपने सारे डाक्यूमेंट्स को लेकर रिसेप्शन पर पहुंचता है। उसके घबराहट उसके चेहरे पर आसानी से देखी जा सकती है। रिसेप्शन पर बैठा व्यक्ति सारे डॉक्यूमेंट चेक करता है और मुस्कुराते हुए कहता है कि डरो मत सब अच्छा होगा। वह सारा डाक्यूमेंट्स विवेक को वापस कर अंदर जाने को कहता है।
इंटरव्यू पैनल के सामने पहुंचते ही विवेक को एक सकारात्मक ऊर्जा का आभास होता है।विवेक सारे सवालों का जवाब बहुत आत्मविश्वास से देता है। इंटरव्यू पैनल के एक अधिकारी ने मुस्कुराते हुए विवेक का बायोडाटा वापस किया और बोला "इंटरव्यू का परिणाम शाम तक बता दिया जाएगा,बेस्ट ऑफ लक"।
विवेक 4 बजे तक अपने रूम पर आ जाता है पर उसका मन कहीं नहीं लग रहा है, उसको इंटरव्यू में असफल होने का डर सता रहा है।ना जाने इसी उधेड़ बुन कब उसको नींद लग जाती है। विवेक की नींद कुछ देर बाद फोन की घंटी बजने से टूटती है। फोन कंपनी के ऑफिस से रहता है।
कंपनी की तरफ से सफलता के लिए बधाई व 4 दिन बाद ऑफिस ज्वाइन करने को बोला जाता है। साथ ही यह भी बताया जाता है कि आपको मेल पे ज्वाइनिंग लेटरआएगा, रिप्लाई में कंफर्म करिएगा।
यह सब सुनकर विवेक के आंखों से आंसू बहने लगते हैं बड़ी मुश्किल से वह थैंक यू बोल पाता है। फोन रख कर वह मंदिर के सामने जा भगवान को धन्यवाद देता है। बाबा के तस्वीर के सामने विवेक हाथ जोड़ कहता है "बाबा आपका विवेक आज सफल हो गया।
अपना आशीर्वाद सदैव मेरे ऊपर बनाए रखिएगा।" विवेक को जैसे आभास होता है कि उसके बाबा तस्वीर में मुस्कुरा रहे हैं। वहीं मुस्कुराहट उसको सुबह उस वॉचमैन के मुस्कुराहट में दिखी थी, वही मुस्कुराहट रिसेप्शन पर बैठे उस व्यक्ति के चेहरे पर भी थी और उसे अब महसूस होता है कि इंटरव्यू पैनल के उस अधिकारी में उसको अपने बाबा का चेहरा दिखता है जिसने उसे बेस्ट ऑफ लक बोला था। उसे महसूस हुआ की बाबा उसके हर पल उसके साथ थे।विवेक के आंखो से अनवरत अश्रु की धारा बहने लगती है। वह बाबा की तस्वीर के सामने हाथ जोड़ बस यही बोल पाया "पित्र देवो भव:--पित्र देवो भव: "।