आँख के बदले आँख (भाग 2)
आँख के बदले आँख (भाग 2)
एक दम सन्नाटा छाया हुआ है इतने लोगो की भीड़ है फिर भी मानो शब्दों ने खुद खुशी कर ली हो।
हवलदार- "साहब "
दीवान - हाँ बोलो
हवलदार- " किसने इसे इतनी बेरहमी से मारा होगा"
दीवान - " पता नहीं कमल किसने इसे इतनी बेरहमी से मारा है
बॉडी को इक्कठा करके पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दो"
हवलदार- " हटो यहाँ से सब लोग हट जाओ "
२ दिन बाद
हवलदार कमल - "साहब रिपोर्ट आ गयी है ये लाश किसी 50 या 60 साल के आदमी की है "
दीवान- अच्छा !
"साहब- दीवान साहब वो मैं दो दिन पहले आया था अपने भईया की गुमशुदा लिखवाने "- भोले
दीवान- हाँ बोलो कब ग़ायब हुए भईया ?
भोले- साहब तीन दिन पहले शाम को घर से टहल कर आने की बोल कर गए थे और अभी तक आये
दीवान - उम्र क्या है तुम्हारे भाई की ?
भोले- " साहब 54 साल के करीबन"
दीवान ने झट से सर उठा के देखा फिर कुछ देर देखने के बाद।
तुमको पता है 2 दिन पहले गाँव में एक लाश मिली थी - दीवान
भोले- " जी साहब "
दीवान -" लाश की उम्र भी करीबन 50 से 60 साल के बीच थी "
भोले- " नहीं नहीं वो मेरे भईया नहीं हो सकते"
दीवान - फिर भी एक बार देख लो नहीं तो कल क्रिया कर्म कर देंगे अगर लाश लावारिस रही तो
भोले - "ठीक है साहब "
"कमल ओ- कमल" - दीवान
" इनको ले कर मुर्दा घर जाओ और लाश की शिनाख़्त करवाओ "- दीवान
उधर कालीचरण के घर पर सुनीता अकेली है
अचानक दरवाज़ा खटकने की आवाज़ आती है
सुनीता- कौन है ?
कोई जवाब नहीं आता
फिर से दरवाज़ा खटकता है
सुनीता - " कौन है बोलते क्यों नहीं "
फिर सुनीता डरी सहमी सी गेट खोल देती है। सामने खड़े शख्स को देख कर सुनीता की मानो ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
कमरे में काफी अंधेरा है
कमल- ये देखो लाश केवल तुम सर ही देखना बस लाश टुकड़ो टुकड़ो में है
भोले सिहर उठता है और धीरे से कहता है -" जी साहब"
जैसे तैसे हिम्मत करके लाश पर से चादर सरकता है और अचानक भौंचक्का रह जाता है।
छोड़ो न कोई देख लेगा जैसे तैसे करके हम जीत हासिल होने वाली है - सुनीता
व्यक्ति- " ऐसे कैसे जाने दूँ इतने समय के बाद तो तुम बांहो में हो "
मुकेश वक़्त जरूर आएगा जब में तुम्हारी बांहो में हमेशा के लिए रहूँगी - सुनीता
" हमने जैसा चाहा था वैसे ही हुआ, बस कुछ और ये जुदाई "- सुनीता
और फिर सुनीता उसे जोर से बांहो में भर लेती है
क्रमश