Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

यमराज और रावण दहन

यमराज और रावण दहन

3 mins
377


आजकल यमराज से मेरा याराना हो गया 

समय काटने और मुस्कराने का बहाना मिल गया 

अच्छा भला रावण का दहन देखने

बच्चों को लेकर गया था

यमराज का भी जैसे भाग्य खुल गया

वो बिना किसी संकोच अपने छोटे कद के बहाने 

आ कर अधिकार से मेरे कंधे पर बैठ गया,

मैं बड़बड़ाया, अरे बेवकूफ !

बच्चों को तो ख्याल कर।


वो बड़ी मासूमियत से बोला

प्रभु चिंता मत कीजिए

इसकी गारंटी मैं लेता हूँ 

बच्चे जब जान पाएँगे तब डरेंगे न

विश्वास कीजिए वो जान ही नहीं पाएँगे

वो भी रावण को जलता देख बहुत मुस्करायेंगे

बस! आप मुझे राम के पास जाने की अनुमति दे दो

और फिर आप भी रावण दहन का यादगार आनंद लो

मैं धीरे से फुसफुसाया

तू मुझे मरवाएगा, भीड़ से पिटवाएगा

मुझे राम विरोधी बनाएगा।


यमराज ने हंसते हुए कहा

क्या प्रभु! अब आप भी मुझे रुलाएँगे?

आप नहीं चाहते तो हम अभी लौट जाएँगे

फिर सोच लीजिए, आप ही पछताएँगे।

मैंने यमराज को शांति से जाने की इज़ाजत दे दी

वह कूद कर राम बने कलाकार के कंधे पर जा बैठा

और उनके कान में फुसफुसाया

भगवन! आप कष्ट न करें

तीर-कमान में और धनुष कंधे पर रखें

आँख बंदकर सिर्फ़ बुदबुदायें

रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद जल जाएँगे

बेवज़ह आप कष्ट क्यों उठाएँगे।


राम जी तो शांत रहे

आदत के अनुसार लक्ष्मण जी भड़क गए

लगता है रावण का मायावी दूत है तू

भैया को गुमराह करता है।

इतना सुन यमराज को भी ताव आ गया

उतरकर लक्ष्मण के कंधे पर सवार हो गया

और बड़े गर्व से बोला 


रामजी के भ्राता तैस में न आओ

आज वो होगा जो आज तक नहीं हुआ है

बिना लड़े तो असली रावण भी नहीं मरा था।

पर तबका समय और था

आज का समय बदल गया है

सब कुछ आधुनिक हो गया है

फिर रावण दहन क्यों पुराने ढर्रे पर चल रहा है।


समय के साथ चलना सीखो

और अपने भ्राता राम जी को देखो

वे कितने समझदार हैं

सीधी सी बात आसानी से समझ गए,

मेरी बात मान आँखें बंद कर बुदबुदाने लग गए।


ज़रा रावण के पुतले को गौर से देखो

जलन के भाव उसके चेहरे पर आ गए 

और फिर रावण कुंभकर्ण मेघनाद के पुतले

धू-धूकर जलने लगे।

लक्ष्मण जी यह देखकर चौंक गए

यमराज से कुछ कहते

तब तक यमराज फिर मेरे कंधे पर आ गया

और मुझसे कहने लगा

प्रभु सुन लीजिए लोग कैसे शोर कर रहे हैं

उनके लिए तो सचमुच के राम जी आ गए

और चुपचाप रावण दहन कर निकल गए,

राम बने कलाकार देखते रह गए।


पर लोगों को इससे क्या?

कि कौन से राम जी रावण वध कर गए,

वे सब तो इसलिए खुश हैं

कि उनके आज के रावण बड़ी आसानी से जल गए।

अब आप और भी देख लीजिए 

इस भीड़ में जाने कितने रावण

आज भी राम भक्त का आवरण ओढ़

जय श्री राम जय श्री राम कर रहे हैं

शायद वे समझ रहे हैं कि

वे राम जी गुमराह करने में सफल रहे हैं


पर वे मूर्ख अज्ञानी क्या जानें 

कि प्रभु राम जी सब जानते हैं

पर वे धर्म का पुल बना रहे हैं

मर्यादाओं का पालन कर रहे हैं,

धरती के हर रावण वध का 

समुचित प्रबंध कर रहे हैं।


अब आप मेले का आनंद बच्चों संग लीजिए

और राम जी की इच्छा से मुझे विदा कीजिए।

मैं जल्दी ही फिर मिलूँगा

तब आपके साथ आपके घर में बैठकर

चाय के साथ नाश्ता भी करूँगा।


यमराज चला गया, मुझे यकीन हो गया

क्योंकि मेरा कंधा हल्का हो गया

पर बेवकूफ़ कई सवाल के साथ

फिर आने का बहाना छोड़ गया

पर सच ही तो बोल गया। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract