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Gd Sharma 'Hindustan'

Inspirational

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Gd Sharma 'Hindustan'

Inspirational

यह भारत का सैनिक है

यह भारत का सैनिक है

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सूरज जब जब अरुणाचल पर रथ अपना ले जाता है

मिल दिव्य शौर्य के तेजपुंज से नई उर्जा पाता है

यहाँ सूर का तेज सूर्य से बढ़कर माना जाता है

इसी तेज में तपकर सूरज अरुण वर्ण हो जाता है

रण आहत शत्रु भी इसको, श्रद्धा से शीश झुकाता है

यह भारत का सैनिक है, जसवंत सिंह कहलाता है।


ईस्वी संवत उन्नीस सौ इकतालीस जब साल हुई

रावत कुल के गौरव से गर्वित पौढ़ी गढ़वाल हुई

हुआ कृष्ण ही पुनः अवतरित जननी धन्य पा लाल हुई

देवभूमि की पावनता भी पाकर इसे निहाल हुई

बाड्यू ग्राम का प्रत्येक निवासी, इसकी गाथा गाता है

यह भारत का सैनिक है, जसवंत सिंह कहलाता है।


बाल्यकाल में खेल खेल में ऊँचे पर्वत चढ़ जाता

संगी साथी रहते पीछे रावत आगे बढ़ जाता

वो करता जब सिंह गर्जना,तब पवन मंद पड़ जाता

मेघ ठहर जाते क्षण-भर को, भू का स्वांस उखड़ जाता

अम्बर के नक्षत्रों को पढ़ तब, ज्योतिष यह बतलाता है

यह भारत का सैनिक है, जसवंत सिंह कहलाता है।


अजस्र नगाड़े बजे युद्ध के कूच किया तब फौजों ने

सागर उत्सव लगा मनाने, नृत्य किया तब मौजों ने

आंधी काली बन चीन बढ़ा घात किया चिलगोजों ने

आंधी रोकी दे निज जीवन , तीन वीर मनमौजों ने

एक वीर तो मरकर भी सीमा पर गश्त लगाता है

यह भारत का सैनिक है जसवंत सिंह कहलाता है।


देश-धर्म की रक्षा में जो, रण में रक्त बहाता है

शीश कटा धड़ जिसका लड़ता, वो झुंझार कहाता है

जैसा झुंझार हुआ रावत वह लौकिक कहाँ कहाता है

बिन काया के वर्दी पहने, सैन्य-क्षेत्र में जाता है

शीश नित्य इस महावीर को, अब 'हिन्दुस्तान' झुकाता है

यह भारत का सैनिक है, जसवंत सिंह कहलाता है।


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