“ यादें ”
“ यादें ”
हम भी तो तुम्हें चाहते थे ऐसे
जैसे मरने वाला कोई जिंदगी चाहता हो जैसे
कही जमाने बाद हिचकी आई है ऐसे
जैसे पुराने यादों को कोई याद करता हो जैसे
कुछ दर्दे दिल छुपायें है ऐसे
जैसे किताबों में कोई फुल छुपाया हो जैसे
मुस्कुरा कर, रुला कर छोड दिया विरानों में ऐसे
जैसे भीड में अकेला कोई राह देखता हो जैसे
तडपती विरह में जलती है छाती ऐसे
जैसे मोहब्बत करके कोई गुनाह किया हो जैसे
तरन्नुम में भी खामोश है लब ऐसे
जैसे मिली महफिल शमशान से कोई घर ताकता हो जैसे
तुम्हे पाने दिल कि धडकन उछल रही थी ऐसे
जैसे बरसात में नाचता हो कोई मदहोश होकर जैसे
गलत फहमियों से पैदा हुई थी दूरिया ऐसे
जैसे रिक्त स्थानों में कोई रेख खींच दे जैसे
देखकर मेरी हंसी हैरान है जमाना ऐसे
जैसे कांटो में भी कोई रहकर मुस्कुराता हो जैसे
मोहब्बत करके हाल मत पूछ ऐसे
जैसे नमक छिड़क कर कोई मरहम लगाता हो जैसे।