जुमदेव जी
जुमदेव जी
जुमदेव जी नाव चलाओ
ज़िंदगी का समंदर गहरा है
चल रहीं हैं आंधियां
मंज़िल पर संकट गहरा है.
ज़िंदगी की यात्रा में
दुखों का अचरज भरा है
मंडरा रहे हैं भंवरे
कांटों का प्रभाव गहरा है.
जुमदेव जी नाव चलाओ
ज़िंदगी का समंदर गहरा है.
दूर दूर तक चारों ओर
सुख का नहीं दिखता छोर हैं
उस पर भी
देखो नहीं मेरा जोर हैं.
जुमदेवजी नाव चलाओ
ज़िंदगी का समंदर गहरा है
ले चलो, अंधेरे से प्रकाश की ओर
यहां पग पग पर बिच्छू का पहरा है.
जुमदेव जी नाव चलाओ
ज़िंदगी का समंदर गहरा है.
न जाने किस जहां में जाकर
सुख की डोर बस गई हैं
एक झलक तुम्हें देखने
ये आंखें तरस गई हैं.
जुमदेव जी नाव चलाओ
ज़िंदगी का समंदर गहरा है
ले चलो, अज्ञात से ज्ञात की ओर
ना जानें, कहां, सुख का बसेरा हैं.
जुमदेव जी नाव चलाओ
ज़िंदगी का समंदर गहरा है.
छोड़ चुका था हिम्मत जीने की
रात अंधेरी काली में
जुमदेव जी ने एक किरण दिखाईं
अब जी रहा हूं तुम्हारे सहारो में.
शुक्रगुजार हूं जुमदेव जी आपने
ज़िंदगी के समंदर में तैरना सिखाया हैं
सन सनाती धूप में भी
दिखाया, सुख का बसेरा हैं.
जुमदेव जी नाव चलाओ
ज़िंदगी का समंदर गहरा है.