आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव
नाराज़ न होना देशवासियों
मैं दिल की बाते खोल रहा हूं
जय हिंद देशवासियों
मैं एक आम आदमी बोल रहा हूं।
तुम्हारा घर हैं तुम
सौ नहीं हज़ार बार तिरंगा फहराना
पर किसी पाखंडी के बातो में आकर
अपने तिरंगे का अपमान न करना।
घरदार नहीं है मेरा पर
दिल में तिरंगा फहराया करता हूं
राजनैतिक ढोंग पाखण्ड से
मैं मुंह मोड़ लेता हूं ।
गौर से देखो लहराता तिरंगा
जो जीत का फरमान है
उस जीत में लिपटे तिरंगे में
लाखों हमारे जवान हैं।
सरफरोशी जज्बा क़ौमी
आदी हो गया हूं
मैं एक आम आदमी पक्का
सैनिक हो गया हूं
मेरा साथ दो और
तुम भी अपना रुख मोड़ दो
75 आजादी का अमृत महोत्सव पर
प्रीत रीत और फर्ज़ से तिरंगा फहरा दो
मेरे दिल में हैं यह आरजू
घर घर तिरंगा फहराएं
चूमें अपनी पावन धरती को
खुशी से सब नाचे गाए।