यादें शहीदों की
यादें शहीदों की
जलाकर मोत का दिया हर रातको सोता है
यादो ओर ख्वाब मे परिवार को लेकर सोता है
सुबह ऊठकर ही तिरंगे को सलाम करता है
देश की सुरक्षा मे सरहद पर खडा होता है
खून बहाकर दीलाईथी शहीदो ने आजादी,
अब हमसे वो संभाले संभली नही जाती
आपस मे सत्ता के लिये लड रहे है हम
ठोकर खाकर भी नही सुधर रहे हम
मजहब के नाम से दुश्मनी कर रहे हम &
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रेंग दो दुशमनो को अपने पावो तले
कभी सर उनका उठा के बात कर न सके
लोगो को मजहब के नाम पर भडका न शके
सबक ऐसा सीखा दो की नकशेमे दीख नही पाए
तिरंगे की ऊंचाइओ को गलती से भी छू नही पाए
'मृदुल मन'से आज उन शहीद को सलाम करते है
देश के लिये जिन्हो ने दी जान उनको याद करते हैं।