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parul sharma

Inspirational

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वसुधैव कुटुम्बकं

वसुधैव कुटुम्बकं

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भारत विभिन्नताओं के मोतियों से पिरोया हुआ एक हार है,

यहाँ वृक्ष, भूमि व पशु में भी दिखता भगवान है,  

गंगा –जमुनी तहजीब ही तो हमारी पहचान है,

हिन्दी, उर्दू, तमिल, उड़िया आदि अनेक भाषाओं की जुबान है,


गुजरात का ढोकला, पंजाब का छोला, केरल का डोसा,

यूपी की जलेबी और बंगाल के रोसोगुलों जैसे अनेक पकवानों की भरमार है,  

परिधान के तो अनेकों प्रकार है, कोई पहनता साड़ी

तो कोई पहनता लहंगा हर क्षेत्र का अपना ही फैशन का आधार है

,

हिन्दू, मुस्लिम, जैन, सिख, बौद्ध, इसाई अनेक जाति धर्मों में बंटा हुआ

लेकिन दिवाली, ईद, बैसाखी, क्रिसमस

आदि त्योहारों से बंधा हुआ यह समाज है,

राम, अल्लाह, वाहेगुरु, जीसस सबका ही यहाँ सम्मान है,

यहाँ गुरु, मात –पिता साक्षात ईश्वर के समान वहीँ 

बालकों व कन्याओं में दिखता भगवान है,


अनेक धारणाओं व प्रथाओं से रचा –बसा हर व्यक्ति का संसार है,

दवाओं से ज्यादा दुआओं से आय दिन होता चमत्कार है,

बहु स्त्री व तीन तलाक तो भारतीय समाज में हराम  है,

योग, ध्यान व आयुर्वेद ही जीवन का आधार है,


भावनाओं से परिपोषित यह भारत का समाज है,

राम, बुद्ध, विवेकानंद द्वारा दिए गये ज्ञान का यहाँ भण्डार है,

यह प्रेम की खुशबु से भरा हुआ बागान है जिसकी 

विश्व में अलग ही पहचान है,

वसुधैव कुटुम्बकमं ही भारत का सार है।


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