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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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वसंत पंचमी की विविधता

वसंत पंचमी की विविधता

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वसंत पंचमी पर्व का उद्देश्य बड़ा है

सृष्टि के नवचेतना, नवनिर्माण पथ पर

आनंद का बोध कराकर आनंदित करना है।

वाणी की अधिष्ठात्री देवी माता सरस्वती की पूजा प्रार्थना का इस दिन विशेष महत्व है। 

मान्यता के अनुसार वाग्देवी माँ सरस्वती 

ब्रह्मस्वरूप, कामधेनु , सभी देवताओं की प्रतिनिधि 

और विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी हैं। 

माता सरस्वती की पूजा, आराधना के लिए 

माघ मास की पंचमी तिथि निर्धारित होने के साथ

देवी के रहस्योद्घाटन का दिवस भी माना जाता है

कृषि संस्कृति से भी वसंत पर्व का भी

विशेष संबंध पाया जाता है,

नवान्न इष्टी यज्ञ अनुष्ठान का भी इससे रिश्ता है।

खेतों में उगाई नई फसल को घर में लाकर 

ईश्वर को समर्पित किया जाता है।

मथुरा, वृंदावन, राजस्थान में वसंत पंचमी 

विशेष त्योहार के रूप से मनाने की 

सदियों पुरानी परंपरा का निर्वाह किया जाता है।   

गणपति, इंद्र, शिव और सूर्यदेव की

विशेष आराधना, पूजा, प्रार्थना भी किया जाता है। 

वसंत ऋतु में ही वृक्षों में नए पल्लव भी आते हैं

प्रकृति के स्वरूप, समीकरण भी बदल जाते हैं

प्राणी प्राणी उत्साह, उल्लास छा जाता है। 

संक्रमण का प्रतीक वसंत पंचमी का दिन 

स्नान, दान के लिए खासमखास होता है,

क्योंकि तीर्थ क्षेत्र में शाही स्नान के लिए भी

वसंत पंचमी का ये दिन विशेष होता है। 



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