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Geetika Ahluwalia

Inspirational

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Geetika Ahluwalia

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वृद्ध और आश्रम - कविता

वृद्ध और आश्रम - कविता

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जिंदगी के हर मोड़ पर उनको ख्वाब बदलते देखा है, 

वो जरा ज़ईफ कया हुए उनके औलादों को बदलते देखा

खर्च कर दी जिसने जिदंगी और उम्र भर की कमाई, 

कभी मालिक की बातों को सुनते हैं।


कहीं मंदिर- मस्जिदों की सीढ़ियों पर बैठ बिलखते

 उस भगवान को देखा है

आश्रम के दरवाजे पर Benz, Audi,

Skoda जैसी कार रूकते भी देखा है, 


व्यापार के लोभ में जिंदा लाशों को जलते देखा है

सच कहूं तो

इंसान रूपी संतानों को हैवान बनते देखा है, 

जरा ज़ईफ क्या हुए उनकी औलाद बदलते देखा है।


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