STORYMIRROR

Hemant Yadav

Abstract

4  

Hemant Yadav

Abstract

वो स्त्री

वो स्त्री

1 min
24.4K

वो स्त्री है जो

सहकर भी चुप रहती है

रोती भी है


लेकिन आंसू छिपा लेती है

अपने आंचल के टुकड़े की

छांव में पूरे परिवार को ढ़क लेती है


अपने ममतामयी हृदय में

सारे दुःख परेशानी कहीं छिपा आती है


और अपने स्नेह की बारिश तले

सबका जीवन हरा भरा बना देती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract