वो स्त्री
वो स्त्री
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वो स्त्री है जो
सहकर भी चुप रहती है
रोती भी है
लेकिन आंसू छिपा लेती है
अपने आंचल के टुकड़े की
छांव में पूरे परिवार को ढ़क लेती है
अपने ममतामयी हृदय में
सारे दुःख परेशानी कहीं छिपा आती है
और अपने स्नेह की बारिश तले
सबका जीवन हरा भरा बना देती है।