मेरी मोहब्बत
मेरी मोहब्बत
इंसान कभी खामोश
नहीं होना चाहता
वो चाहता हैं
मन में उठते
तुफां को बयां कर देना
चंद लफ्जो में
वो चाहता हैं
उस पल कोई अपना हो उसका
जो समझ सके उसे
सुनो सके उसके चेहरे को निहारते हुए
उसकी निश्छल बातें
पर जब मिलता नहीं कोई उसे
तो वो खामोश हो जाता हैं
उसके मन में उठने वाला
वो बवंडर
एक दिन किसी कोने में
आंखों के रास्ते बाहर निकल जाना चाहता है।
