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yugandhara ambale

Abstract

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yugandhara ambale

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वो लम्हे

वो लम्हे

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हसीन दिन काॅलेज के, 

खेल, कुद मौज- मस्ती के 

ज्यादा है यहाँ मज़ाक,

थोड़ी सी है पढ़ाई


कोई किसी से मिलता, 

तो किसीकी होती है जुदाई, 

सब कुछ नया नया, 

मैं भी नई काॅलेज में

सुनहरा माहौल, अच्छे से दोस्त


नयी दिशा, दिखाये जिंदगी में

मैं तो चलूंगी अपने रस्ते से

बचके रहुंगी इस जादुई नगरी से


बुराई से लड़ना, अच्छे को लेना

मुझे मेरी नैया से है सीधा जाना।


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