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Shashi Kushwaha

Inspirational

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Shashi Kushwaha

Inspirational

वो लड़की

वो लड़की

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उलझन भरी सी जिंदगी में,

कट रही गंदे फटे कपड़ो में।

बड़ी मुश्किल से अपनी इज्ज़त,

ढांक रही थी वो लड़की।


ना खाना था खाने को,

ना पीने को था पानी।

दिल में दया भाव से भरा,

उमड़ता सागर था तूफानी।


घर के बाहर पड़े देख,

घायल नन्हे से एक पिल्ले को।

मन उसका दहल गया था,

देख घावों में पड़े लाखों कीटों को।


चारों कोणों देखा उसने,

मदद को नहीं कोई खड़ा था।

देख के उसकी हालत को,

मन दर्द के भावों से भरा था।


उठा के प्यार से उसे सहलाया,

पानी से उसको फिर नहलाया।

मिट्टी के तेल को घावों पर लगाया,

जानवर के प्रति दया का भाव दिखाया।


ठीक हो वो सामने फिर आया,

पैरो में झुक एहसास कराया।

इंसान न समझे एहसानों को,

जानवर होकर भी प्यार जताया।


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