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Yashasvi Verma

Inspirational

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Yashasvi Verma

Inspirational

वो जिंदगी क्या जिंदगी

वो जिंदगी क्या जिंदगी

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वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो धूप में तपी नहीं

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो राह में नपी नहीं

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी न ज़ख़्म है न घाव हैं

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी चली जो छाँव-छाँव है

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो आँधियों से डर गई

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो टूट कर बिखर गई

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो बह रही है धार में

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो आर में न पार में

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो दर-ब-दर फिरी नहीं

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी तो दौड़ते गिरी नहीं

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी न दर्द हो न पीर हो

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी लकीर की फ़कीर हो

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो वक़्त से छली नहीं

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो कष्ट में पली नहीं

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो हार से डरा करे

वो ज़िंदगी क्या ज़िंदगी जो आए दिन मरा करे

वो ज़िंदगी न ज़िंदगी लिखी है जो किताब में

वो ज़िंदगी न ज़िंदगी जो देखते हो ख़्वाब में

जो सुन के ये हक़ीक़तें, जो धड़कने न तेज हों

जो कष्ट से, जो दर्द से, जो पीर से परहेज़ हो

जो देख कर के आप इन, मुश्किलों को खुश नहीं

तो घूंट भर लो ज़हर का और इससे आसां कुछ नहीं!!

तो घूंट भर लो ज़हर का और इससे आसां कुछ नहीं!!



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