तू स्वयं विधाता है अपनी किस्मत का, ले कलम और बदल दे सोच दुनियां की
तू स्वयं विधाता है अपनी किस्मत का, ले कलम और बदल दे सोच दुनियां की
हर सुबह जिदंगी नई है
ले कलम और लिख दे
अपने ख्वाबों के अल्फाज़ को।
विश्वास रख खुद पे
खुदा भी तुझसे ख़ौफ़ खाएगा
जो आए तेरे राह को रोकने
देख तेरे संघर्ष को
वो भी सहम जाएगा।
मेहनत कर इतनी शिद्दत से
कि मुकद्दर भी झुक जाए
जो आए तेरे राह में रोड़े बनने
वो पत्थर भी पिघल जाए।
सफर में रुकावटे कई आएंगी
तू ना उससे भयभीत होना
निरंतर बढ़ते जाना अपने कर्मपथ पर
अपनी किस्मत ख़ुद बनाना।
जो कभी निराशा आएं मार्ग में
तो आशा की किरणों को ढूंढना
तेरे भरोसे बैठी है कोई
उनके सपनो को अपने आंखों में भरना।
तूं स्वयं विधाता है अपनी किस्मत का
अपनी तकदीर ख़ुद लिख डाल
ले कलम और बदल दे सोच दुनियां की
आज एक ऐसा इतिहास रच डाल।
