तू बोल दुनिया सुनेगी
तू बोल दुनिया सुनेगी
हज़ारों की भीड़ में, गुज़रता जा रहा हूँ
भेड़, बकरियों की रेस में, चलता जा रहा हूँ
सोचा एक पल रुकूँ, दिल के राज़ तो खोलूँ
पर धक्के पे धक्के खा कर बढ़ता जा रह हूँ
डॉक्टर, इंजीनियर ओर बिज़नस की चाहत में
अपने हुनर की वॉट लगाता जा रहा हूँ
मुझ में भीड़ को इकठ्ठा, करने का दम था
इस भीड़ का हिस्सा, बनता जा रहा हूँ
लोग क्या कहेंगे, ज़ोर ज़ोर से हसेंगे
दिल में इस ख्याल से, डरता जा रहा हूँ
एक दिन नज़र घुमाई, नई नई रहे नज़र आई
देखा भेड़चाल में, मैं पिछड़ता जा रहा हूँ ?
मैअंदर से चिल्लाया, साले कब तक डरेगा
शरम ओर झिझक छोड़, आगे भी बढ़ेगा ?
दुनिया से नहीं, अपने आप से लड़ेगा ?
अपने, नए अवतार का, आगाज़ करेगा ?
फिर देख तेरे दिल में, कैसेआग जलेगी
तू आगे ओर दुनिया तेरे, पीछे चलेगी
किस्मत की घड़ी, ओर तेज़ घूमेंगी
तेरी बुलंदी, आसमाँ चूमेंगी
हर मंच पे तेरी, आवाज़ गूंजेगी
अगली पीढ़ी बस तुझको पूछेगी
तेरे हुनर के कारण, कायनात झुकेगी
तेरी एक अवज़ पे सबकी धड़कनें रुकेगी।
तू बोल दुनिया सुनेगी
तू बोल दुनिया सुनेगी