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yashwant kothari

Abstract

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yashwant kothari

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तो होली होती है

तो होली होती है

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जब मिलती है नजर से नजर

तो यारों होली होती हैं

जब मिलते है दिलों से दिल

तो यारों होली होती है।


जब गुलमोहर से मिलती है फागुनी बयार।

तो यारों होली होती है।

जब खिलते है अमलताश ओं ’ पलाश

तो यारों होली होती है।


जब दिलों में जलती है मुहब्बत की आग,

तो यारों होली होती है।

जब आशिक का प्यार चढ़ता है परवान।

तो यारों होली होती है।


जब मुड़ मुड़के देखती है माशूक की नजर।

तो यारों होली होती है।

जब रंग अबीर से लाल हो अम्बर।

तो यारों होली होती है।


जब दुल्हन की पायल बजती है।

तो यारों होली होती है।

जब डफ और चंग बजते हैं।

तो यारों होली होती है।

जब आम्रमंजरी पर कोयल कूकती है।


तो यारों होली होती है।

गंगा जब समन्दर से मिलती है

तो यारों होली होती है।

जब सपनों से सपने मिलते हैं,

तो यारों होली होती है।


जब अन्धेरों में रंगों का उजास फूटता है

तो यारों होली होती है।

जब जवानी पंख लगाकर उड़ती है

तो यारों होली होती है।


जब फागुन दरवाजे पर दस्तक देता है

तो यारों होली होती है।

जब जातिवाद और साम्रदायिकता जलती है।


तो यारों होली होती है।

जब प्रकृति पुरूष से मिलती है।

तो यारों होली होती है।

जब कामदेव और रति मिलते हैं

तो यारों होली होती है।


जब कामिनियां-दामिनयां निरखती है।

तो यारों होली होती है।

जब राधा-कृष्ण बनती है और

कृष्ण राधा बनते हैं

तो यारों होली होती है।


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