STORYMIRROR

Anshikha Maurya

Inspirational

4  

Anshikha Maurya

Inspirational

तेरे होने की मुझको आदत है माँ

तेरे होने की मुझको आदत है माँ

1 min
187

तेरे होने की मुझको आदत है माँ

तेरा ना होना मुझे मंजूर नहीं 


तेरा जीवन तुने मुझे समर्पित कब का कर दिया है

निसंदेह अब जीवन मेरा तेरा है


संग तेरे ही जिया हैं माँ

तेरे बिना जीना नहीं हैं


उंगली को तेरे जब मेरे हाथों ने पकड़ा 

तब मुझे गिराने का समर्थ किसी ने नहीं रखा


पसंद है भोजन तेरे हाथों का 

तेरे बिना जरा हैं फीका सा


ख्वाइश मेरी बस इतनी तू जाना कहीं नहीं

क्युकी तेरे होने की मुझको आदत है


वार्ता करनी है मुझे तेरे सुंदर मुखडे की

ना जाने मैं क्यूं वर्षो से मौन थी


आज गले लग लेने दे मुझको

कदाचित कल अफताब को देखना मुमकिन ना हो.

       


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational