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Rohan kumar

Abstract

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Rohan kumar

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तेरा शहर

तेरा शहर

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मेरे दोस्त बहुत सुकूं है तेरे शहर की हवा में

सुना है यहां कोई भी मोहब्बत नहीं करता।


तेरी गली में सभी बच्चे बड़ी तहजीब वाले है

क्या कहा गलियों में कोई शरारत नहीं करता।


मराशिम नहीं रहा कोई पुराने जमाने जैसा

क्या बात है कोई भी शिक़ायत नहीं करता।


खलूस -रसूक है हर एक शख्सियत में

देखता हूं गोर से कोई इबादत नहीं करता।


कर रहा है हर कोई कर्म अपना अपना

मशरूफ है कोई भी रिवायत नहीं करता।


मेरे दोस्त बहुत सुकूं है तेरे शहर की हवा में

सुना है यहां कोई भी मोहब्बत नहीं करता।


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