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सवाल

सवाल

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हो रही है घुटन यहाँ

दर्द भरा है सीने में

मुश्किल हैं जिंदगी मेरी

लेकिन शोर नहीं मचाऊंगा मैं।

भूख के मारे बेहाल हूँ मैं

पानी के लिए भी लड़ाई है

आशियाना तो बस ख़्वाब में है

लेकिन जिंदगी ने बुरी नींद दिलायी है।

खामोशी का जाल हूँ मैं

बेबस हूँ लाचार नहीं

मानवता का संघर्ष यहाँ

मानवता से ही बर्बाद हूँ मैं।

जिंदा हूँ इतना ही सही

नसीब की कैसी चाल हूँ मैं

क्या लाएगा अगला पल

जिंदगी तो नहीं? सवाल हूँ मैं।


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