सुनहरी सोच
सुनहरी सोच


मेरी माँ मुझे काम करने क्यों नहीं देती?
ये सवाल मेरे मन में अक्सर उठता है।
मैंने सुना था लड़कियों को काम सिखना चाहिए,
ससुराल में काम आता है।
पर मेरी माँ कहती है कि समय सब सिखा देता है।
आज पढ़ ले कल नौकरी करके भी
घर चूल्हा संभालना पड़ेगा।
तेरा आज मैं उस दायित्व की पकड़ में
क्यों दूँ जो मेरा है?
तू मेरा सहारा बन मैं खुश हूँ।
ये घर सदा तेरा रहेगा।
पर उस घर भी तुझे जाना हैं।
तेरा दायित्व भी तेरी समझदार साँस बाँट ले,
ये आशीर्वाद है।
तू हरदम सबकी मदद कर पाए इस काबिल बन।
आगे ईश्वर की मर्जी ये तो मेरी प्रार्थना है।