“संघर्ष”
“संघर्ष”
आँखें हैं नम पर दुख हैं वहम तेरे,
थाम हौसलों का हाथ, रख संघर्ष में कदम तेरे।।
वक़्त तेरा न मेरा है, बस ये क़लम ही तो है मेरी,
आज़मा कर खुदको अब, कर बयाँ हर ग़म तेरे।।
उम्मीदें न छोड़ अपनी, कर याद अपना बचपन तू,
झूम उठा था आँगन वो, जब पड़े थे कदम तेरे।।
अकेला है तू गर, बना अपने ही रास्ते,
सोच ! माँ तेरी घर पर, है जो भूखी तेरे वास्ते।।
कर जा तू लड़ जा अब, इतना तू ठान ले,
कर भरोसा ख़ुदपर तू पहचान ले और मान ले।।
गिरना हर रास्ते पर , संसार की ये रीत है,
गिरकर संभलने में ही, ये संघर्ष विजयी गीत है।।
