समय
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मुझे इंतज़ार है
उस पल का जब /बेलगाम
भागते समय में
आदमी पकड़ेगा सम्वेदनाओं
की डोर को
उम्मीद के स्वप्न जीवित हो उठेंगे
मानवता कराहती न
रहेगी किसी कूड़ेदान में
या
किसी की आत्मा यूँ भटकती
न रहेगी कहीं सड़कों पर,
रेल की पटरियों पर
या लावारिस मौतों के घटना स्थल
पर मुझे इंतज़ार है उस पल का
जब एक भी आदमी नहीं मरेगा
संवेदनहीनता से।