#smbossवृद्धावस्था का प्रेम
#smbossवृद्धावस्था का प्रेम
बचपन का वो मासूम प्यार
पचपन तक आ पहुंँचा
ये इंतिहा जो थी सच्ची मोहब्बत की
के बंध गए हमदोनो रेशम की डोर से
इन धुंधली आंँखों से हमने
कुछ नरमी देखी , कुछ गर्मी देखी
ज़िंदगी की धूप देखी , कुछ छांँव देखी
कुछ तपिश देखी , कुछ बारिश देखी
कितने मौसम देखे , कितने सपने देखे
ज़िंदगी के टेढ़े मेढे रास्तों पे
अब झुकी कमर लिए
चलना है लड़खड़ाते कदमों से
इन थरथराते झुर्रियों से भरे हाथों से
अब भी थामे रखना मुझे
ज्यों थामा था पहली बार मेरी हथेलियों को
उस लम्स को महसूस अब भी करती हूं
बरसे थे जो खुश्क राहों पे तुम
पुरसुकून बारिश की तरह
मौसम- ए -खि़जां जो आई है
हमदम मुझे अकेला छोड़ ना जाना
लरजते हुए होठों से अपने
मेरा नाम तुम फिर पुकारना
मुझे अकेला छोड़ ना जाना ...