शिरडी मुझे बुला लो
शिरडी मुझे बुला लो


बेचैन दिल है साईं शिरडी मुझे बुला लो,
फैला के अपनी बाहें, मुझ को गले लगा लो।
अब तक मैं आ ना पाया, उलझा रहा जीवन में,
डूबा रहा मैं फिर भी साईं तेरी लगन में,
मुझ को जो ग़म मिले हैं उन ग़म को मार डालो।
देखा मैंने साईं शिरडी सफ़र का जादू ,
भर देगा खाली झोली, तेरी नज़र का जादू ,
तपता हूँ दर्दों ग़म में, आंचल में तुम छुपा लो।
आँसू भरी नज़र से मैं तुम्हें देखता हूँ ,
कुछ भी नहीं मैं तुम से बस, तुम को मांगता हूँ,
नकली जगत के बंधन सब आज तोड़ डालो,
मुझ को यकीन है रहमत तेरी मुझे मिलेगी,
पतझड़ में हसरतों की कलियाँ नईं खिलेगी,
संदेह मन के सारे बाबा तुम ही निकालो ।