शिक्षा और जीवन
शिक्षा और जीवन
माँ प्रथम गुरू माता कहलाई
जहां फंसा सर मे उंगली फहराई
जब बडे हुए आए घर से बाहर
फिर जीवन की गहराई समझाई
गए पाठ शाला को पढ़ने हम
टिफ़िन साथ ले पैदल हमारे आई
सवाल एक' एक कर हल कराएं
नींद से पहले सुन्दर कहानी सुनाई
खैल मे वो रंग का महत्व समझाती
वसुंधरा की वो हरियाली दिखलाई
कदम योवन ओर बढे खिलते सपने
गुरू माता की सूरत पर चमक आई
नव पल्लवित पुष्प खिलने लगे थे
घर मे खुशियों की बजी शहनाई
जब उठने लगी डोली दौड़ कर
कानों में जीने का मंत्र फूंक आई।