Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

MANMOHAN PALIWAL

Inspirational

4  

MANMOHAN PALIWAL

Inspirational

शिक्षा और जीवन

शिक्षा और जीवन

1 min
164


माँ प्रथम गुरू माता कहलाई

जहां फंसा सर मे उंगली फहराई


जब बडे हुए आए घर से बाहर

फिर जीवन की गहराई समझाई


गए पाठ शाला को पढ़ने हम

टिफ़िन साथ ले पैदल हमारे आई


सवाल एक' एक कर हल कराएं

नींद से पहले सुन्दर कहानी सुनाई


खैल मे वो रंग का महत्व समझाती

वसुंधरा की वो हरियाली दिखलाई


कदम योवन ओर बढे खिलते सपने

गुरू माता की सूरत पर चमक आई


नव पल्लवित पुष्प खिलने लगे थे

घर मे खुशियों की बजी शहनाई


जब उठने लगी डोली दौड़ कर

कानों में जीने का मंत्र फूंक आई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational