शेष अशेष कुछ नहीं होता सब कुछ विशेष हैं।
शेष अशेष कुछ नहीं होता सब कुछ विशेष हैं।
शेष अशेष कुछ भी नहीं , होता सब कुछ विशेष हैं।
जन्म मरण का कालचक्र भी, होता कुछ विशेष हैं।
जो आया है वो जाएगा, तो दुःख क्यों अभी शेष है।
जो घटित हुआ वो दुर्घटना थी, जिससे अंतरमन हुआ व्यथित हैं।
आशा और निराशा का ये फेर इतना विशेष हैं।
हर घटना के होने कारण ही कुछ विशेष हैं।
अंत नहीं शुरूआत समझना यह गुण भी कुछ विशेष हैं।
शेष अशेष कुछ भी नहीं , होता सब कुछ विशेष हैं।