मैं सबला हूं
मैं सबला हूं
आसान नहीं था सब कुछ, फिर भी करके मैं दिखा सकी
बनाकर पहचान अपने, अस्तित्व को मैं बचा सकी।
जो मान बैठे थे मुझको अबला, जान गए मैं सबला हूं
धकेल दिया था अंधियारो में मुझको, ताकि खुद को खो दूं मैं।
कुचल दिया था अस्तित्व मेरा, ताकि जान सकूं ना खुद को मैं
था जरूरी गिरना भी, तभी आत्मचिंतन मैं कर सकी।
दूर अपनी कमियों को करके, खुद को ही मैं ढूंढ सकी
आसान नहीं था सब कुछ, फिर भी करके मैं दिखा सकी।
बनाकर पहचान अपने, अस्तित्व को मैं बचा सकी
जो मान बैठे थे मुझको अबला, जान गए मैं सबला हूं।
नारी हूं पर कमजोर नहीं, तभी तो गिर कर भी मैं संभल सकी
खामियों को पहचान कर अपनी, ताकत उनको मैं बना सकी।
ऊंचाइयों को छू कर ही तो, सिद्ध सामर्थ्य अपना मैं कर सकी
आसान नहीं था सब कुछ, फिर भी करके मैं दिखा सकी।
बनाकर पहचान अपने, अस्तित्व को मैं बचा सकी
जो मान बैठे थे मुझको अबला, जान गए मैं सबला हूं।
