शायद !
शायद !
गुमशुदा हम शायद...
निकल गया दम शायद।
किसी से हम लड़ पड़े है।
पाताल तक गढ़ पड़े है।।
हुए है कुछ कम शायद।
सर चढ़ी है रम शायद।।
गुमशुदा है हम शायद।
निकल गया दम शायद।।
हर मेरा कुछ खफा सा है।
हर नुकसान नफा सा है।।
घिर रहा है तम शायद।
या नयन है नम शायद।।
गुमशुदा है हम शायद।
निकल गया दम शायद।।
मस्त हूँ मै पर मस्ती नही है।
मेरी कोई अब हस्ती नही है।।
उतर चुका परचम शायद।
शायर का उतरा वहम शायद।।
गुमशुदा है हम शायद।
निकल गया दम शायद।।
