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Bharati Singh

Inspirational

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Bharati Singh

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सावन

सावन

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यह सावन जब जब आता है, बारिश की बूँदे लाता है।

शीतल करता सबके तन को , सुख से भरता सबके मन को।

इस सूखे-सूखे जीवन में, तब हरियाली छा जाती है।

पड़ती फुहार जब सावन की, चहुँ ओर घटा छा जाती है।

जो मिट्टी कल तक सूखी थी, अपनी कठोरतम काया में।

वह मोम बनी बहने लगी, सावन की शीतल छाया में।

जो पत्ते कल तक सूखे थे, अब झूम-झूम के लहराते हैं।

जो बादल कल थे आवारा, अब झूम- झूम जल बरसाते हैं।

सब नीरस से एहसासों को, इन बूंदों ने अब सोख लिया।

भटके-भटके मन को इसने, प्यारी सिहरन से जोड़ दिया।


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